बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब सभी गठबंधन सभी पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर फैसला ले रही हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी दलों के बीच लगातार सीट बंटवारे को लेकर बातचीत हो रही है। वहीं अब महागठबंधन के दोनों पार्टियों यानी कांग्रेस और आरजेडी के बीच भी सीटों का गणित सुलझ चुका है। इससे पहले ये लग रहा था कि बिहार में कांग्रेस और आरजेडी में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाएगा क्योंकि कांग्रेस अधिक सीटें मांग रही थी और आरजेडी को यह मंजूर नहीं था वहीं आरजेडी चाहती थी कि महागठबंधन की तरफ से सीएम उम्मीदवार तेजस्वी हों लेकिन कांग्रेस इस पर राजी नहीं थी। कई बार ऐसा लगा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर ही सवाल उठाए गए थे। लेकिन अब कांग्रेस महागठबंधन के निर्णय से सहमत हो चुकी है। लेकिन इसका पूरा श्रेय लालू प्रसाद यादव को जाता है।
बिहार के राजनीतिज्ञों का कहना था कि जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा के महागठबंधन से जाने के बाद अब आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात बिगड़ सकती है। वैसा ही हुआ कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस आरजेडी पर दबाव बनाकर 75 सीटों की मांग कर रही थी और वहीं आरजेडी ने केवल 58 सीटें देने का प्रस्ताव दिया था। इसीलिए कांग्रेसी नेताओं ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मानने से भी इंकार कर दिया था।
इस पूरे मामले को देखते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने राजनीतिक सूझबूझ और अपने अनुभव का सहारा लेकर इन दोनों पार्टियों के बीच मामले को शांत करने के लिए कांग्रेस को 70 सीट देने की घोषणा की। जिससे कांग्रेस को उसकी इच्छा के अनुसार सीटें मिलीं और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी बना दिया गया। अब कांग्रेस को इतनी सीटों की उम्मीद नहीं थी लेकिन लालू प्रसाद यादव की सूझबूझ के कारण कांग्रेस को 70 सीटें दी गईं और एक बार फिर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए सारे रास्ते साफ कर दिए गए।
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