भारत के पड़ोसी देश चीन ने अपने मंगल मिशन को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। चीन ने गुरुवार को अपने अनाम मंगल मिशन के लिए उत्तरी हेबेई प्रांत में सफलतापूर्वक लैंडिंग परीक्षण किया। चीन ने साल 2016 से ही अपने मंगल अभियान की शुरुआत कर दी थी। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष विभाग के प्रमुख जैंग केजान ने परीक्षण से पहले विदेशी राजनयिकों और मीडिया से बातचीत में कहा कि चीन मंगल मिशन को लेकर सही दिशा में हैं।
चीन ने साल 2016 में शुरू हुए मंगल अभियान को साल 2022 तक असली रूप देने का प्लान बनाया हुआ है। चीन ने साल 2022 तक मंगल ग्रह पर अपना मानव आधारित अंतरिक्ष स्टेशन बनाने का प्लान बनाया हुआ है।
अभी चीन ने मंगल पर उतरने वाले लैंडर का परीक्षण बीजिंग के उत्तर पश्चिम में हुएलाई स्थान पर किया है। यह स्थान मंगल की असमान सतह जैसा है जिस पर चट्टानों के छोटे टीले हैं। चीन ने लांग मार्च-5 रॉकेट विकसित किया है जो सात महीने की यात्रा के बाद लैंडर को मंगल पर पहुंचाएगा। मंगल मिशन के मुख्य निर्माणकर्ता के जैंग रोंग्कियाओ के मुताबिक रॉकेट को मंगल तक पहुंचने में सात महीने लगेंगे। जबकि इसकी लैंडिंग में सात मिनट का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि लैंडिंग सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण चरण है।
आपको बता दें कि इस साल की शुरुआत में चीन का रोवर चन्द्रमा पर उतरा था, जिसने सॉफ्ट लैंडिंग की थी। अपने अंतरिक्ष के मिशन के लिए चीन इस वक़्त काफ़ी संजीदा है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन अपने नागरिक और सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए रूस और जापान से ज्यादा पैसे खर्च कर रहा है।