भारतीय राजनीति में प्रत्येक पार्टी के लिए समय एक जैसे नहीं रहता है और ठीक उसी प्रकार नेताओं के लिए भी प्रत्येक पार्टी एक जैसी नहीं रहती है। कुछ दिनों पहले पंजाब विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस ने उनकी वफादारी के लिए उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान दिया था। हालांकि डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से टकराव के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था इसके बाद से वह दो चार मौकों को छोड़कर सार्वजनिक रूप से कहीं भी कांग्रेस पार्टी के लिए सक्रिय नहीं दिखे। कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद यह माना जा रहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू को केंद्रीय लीडरशिप में कहीं शामिल किया जा सकता है लेकिन इस बार भी वह नहीं किया गया।
इससे यह माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू की आवश्यकता केवल कांग्रेस को पंजाब में जीत दिलाने के लिए थी उसके बाद उनका पार्टी में कोई भी वर्चस्व नहीं रहा है। नवजोत सिंह सिद्धू भाषा पर अच्छी पकड़ रखते हैं इसीलिए कांग्रेस पार्टी ने उनका भरपूर उपयोग विधानसभा चुनाव में किया था। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी के सामने कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वफादारी को साबित किया है। जिसके बाद से ही माना जा रहा है कि पार्टी में सिद्धू को तवज्जो देकर कांग्रेस अमरिंदर सिंह को नाराज नहीं करना चाहती है क्योंकि पूरे देश में जहां भी कांग्रेस की सरकार है वहां सबसे ज्यादा मजबूत सरकार केवल पंजाब में है। और शायद 2022 में भी पंजाब में दोबारा कांग्रेस पार्टी की सरकार बन सकती है।
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