माना जाता है कि महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी चीज होती है। यदि किसी व्यक्ति की महत्वाकांक्षा ही बहुत अधिक होती हैं, तो वह अपनी महत्वाकांक्षाओं के सामने न तो किसी व्यक्ति का सम्मान करता है और ना भविष्य की चिंता करता है। ठीक है ऐसा ही नजारा अब तृणमूल कांग्रेस में देखने को मिल रहा है। तृणमूल कांग्रेस के विधायक और परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी जिन्होंने पश्चिम मेदिनीपुर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पोस्टर के बगैर कई जगहों पर सभाएं की हालांकि पोस्टर में सिर्फ उनकी तस्वीर है इस घटना से तृणमूल कांग्रेस में यह माना जा रहा है कि अब फूट पड़ चुकी है।
इतना ही नहीं, वह पिछले हूल दिवस पर राज्य सरकार के समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे। शुभेंदु ने खुद को पार्टी से अलग कर लिया है। कई मौकों पर वे पार्टी की बैठकों कार्यक्रमों में उपस्थित नहीं होते हैं। बहुत से लोग अभी मानने लगे हैं कि शुभेंदु अधिकारी अन तथा तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला सकते हैं। हालांकि शुभेंदु का भाजपा में जाना अनिश्चित माना जा रहा है, उनके किसी करीबी ने भी यह संकेत नहीं दिया है कि वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। शुभेंदु की स्थिति मेदिनीपुर में अच्छी दिखाई दे इसीलिए उनके समर्थकों ने उनके पोस्टर्स को वहां-वहां लगाया जहां पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी का पोस्टर दिखाई दिया।
इस पोस्टर में शुभेंदु के नाम के नीचे सामाजिक कार्यकर्ता लिखा गया है। इसके बाद पूरे इलाके में खलबली मच गई है। घटना से अवगत होने पर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को हल करने की कोशिश की और उन्होंने शुभेंदु अधिकारी के पिता तथा सांसद शिशिर अधिकारी की पत्नी की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पूछताछ की। लेकिन कुछ राजनीतिक लोगों का यह मानना है कि अगर शुभेंदु की इच्छाओं को पूरा नहीं किया गया तो 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को कुछ दुखद देखने को मिल सकता है।