महागठबंधन से अलग होकर नितीश कुमार की पार्टी एनडीए का दामन थामने के बाद जीतनराम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के समीकरण को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। मांझी के इस फैसले ने अब एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। चिराग पासवान बिहार के ताजा चुनावी माहौल को देखते हुए 15 साल पुराने सियासी फॉर्मूले को अपना कर मैदान में उतर सकते हैं।
एलजेपी की संसदीय बैठक में चिराग पासवान के रुख और पार्टी के नेताओं के समर्थन ने तो अटकलों को और भी तेज कर दिया है। बैठक में पार्टी नेताओं ने कहा कि एलजेपी को जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारने चाहिए। ऐसे में सवाल ये है कि क्या चिराग NDA में रह कर नितीश कुमार के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतरेंगे या नहीं?
चिराग पासवान और उनकी पार्टी के नेताओं का स्टैंड इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि चिराग एनडीए से अलग होने का फैसला भी कर सकते हैं। ख़बरों की माने तो एलजेपी बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर अपने 143 प्रत्याशी खड़े करने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसका पूरा फैसला चिराग पासवान पर ही है। चिराग अगर एनडीए के साथ गठबंधन का रुख नहीं करते तो वह 15 साल पहले अपने पिता के फॉर्मूले के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
इस फॉर्मूले के तहत चिराग का NDA से गठबंधन भी नहीं टूटेगा और वह बिहार के चुनावी मैदान में अपनी किस्मत भी आज़मा सकते हैं। चिराग पासवान के पिता राम विलास पासवान ने फरवरी 2005 में कुछ ऐसा ही किया था। 2005 में राम विलास पासवान ने कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए का हिस्सा होते हुए भी बिहार चुनाव में आरजेडी के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ ऐसा नहीं किया। हालांकि उस दौरान किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका था।
वहीं अबकी तस्वीर भी कुछ ऐसी ही नजर आ रही है। चिराग पासवान और उनकी पार्टी LJP नितीश कुमार से तो अलग होना चाहती है लेकिन BJP को लेकर उनका रुख काफी नर्म है। ऐसे में अब देखना होगा की आने वाले समय में चिराग गठबंधन के साथ आगे बढ़ते हैं या अपनी किस्मत आजमाने के लिए उन्हें अपने पिता के फॉर्मूले का सहारा लेना पड़ता है?