भारतीय राजनीति बड़ी विचित्र है। इसमें बहुत सारे नेता ऐसे हैं जो चुनावों के समय एक दूसरे पर खूब कीचड़ उछालते हैं और उसके बाद सत्ता पाने के लिए उन्हीं शत्रुओं के साथ हाथ मिला लेते हैं।
उसके पास कीचड़ था मेरे पास गुलाल,
जिसके पास जो था उसने दिया उछाल।
इन्हीं दलबदलू नेताओं में एक और नाम शामिल होता है जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का नाम है। जीतन राम मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष हैं लेकिन अब वह जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बन रहे हैं। आज वह नीतीश कुमार के साथ हैं। हालांकि एक समय ऐसा भी था जब उनके और नीतीश कुमार के बीच काफी बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। विवाद इतना बड़ा था कि जेडीयू के दबंग विधायक अनंत सिंह ने उस दौरान जीतन राम मांझी की हत्या करने तक की बात कही थी। लेकिन राजनीति आज फिर दूसरे मोड़ पर खड़ी है। जहां मांझी और नीतीश कुमार एक साथ आ गए हैं। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि जीतन राम मांझी कब पलटी मार दे कुछ नहीं कहा जा सकता?
दोस्त, दोस्त ना रहा, नीतीश से की बगावत
सन 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड ने एनडीए से किनारा कर लिया था। उस चुनाव में पार्टी की बड़ी हार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। यह मांझी की राजनीतिक हैसियत में बड़ा ट्रेन था। इससे पहले तक उन्हें बिहार में कम लोग जानते थे लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें काफी लोग जानने लगे। लेकिन मांझी यह बताते हैं कि उन्हें नीतीश कुमार का रबड़ स्टांप बनना पसंद नहीं था। इसीलिए उन्होंने नीतीश कुमार से बगावत कर दी।
कांग्रेस से हुई राजनीतिक शुरुआत
वास्तव में जीतन राम मांझी की राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस के साथ हुई। सन् 1990 में जब बिहार में कांग्रेस का दौर समाप्त हो गया। उस समय जीतन राम मांझी ने जनता दल का दामन थाम लिया था। उसके बाद लालू प्रसाद यादव के साथ राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हुए और साल 2005 में लालू का धीरे-धीरे वर्चस्व समाप्त होता देखा तो नीतीश कुमार के साथ हो गए। इसके बाद वे जेडीयू में लंबे समय तक रहे।
विधानसभा चुनाव में लौटे पुराने मित्र के पास
लेकिन जैसा कि आप सभी जानते हैं कि राजनीति में बहुत समय तक मित्र और बहुत समय तक शत्रुता किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं निभाई जा सकती। जबकि बिहार में इस समय विधानसभा चुनाव होने हैं तो हवा की करवट को देखते हुए जीतन राम मांझी दोबारा से NDA के साथ आ गए हैं। अपने पुराने साथी नीतीश कुमार के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। हालांकि जीतन राम मांझी ने ऐसे समय में महागठबंधन को छोड़ा है जब वे महागठबंधन के लिए एक अच्छा चेहरा बन सकते थे।