2 दिन पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि अब मध्य प्रदेश में केवल मध्य प्रदेश के युवाओं को ही नौकरी मिल सकेगी। शिवसेना के मुखपत्र सामना में अब मध्यप्रदेश के इस प्रावधान पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने लिखा है कि यह आरक्षण जैसा प्रावधान क्या सिर्फ नौकरियों तक सीमित रहेगा या राजनीति में भी लागू होगा। मुख्य पत्र सामना के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। तब भाजपा के पुराने भूमि पुत्रों को हाशिए पर करके सिंधिया और उनके समर्थकों को राजनीतिक रोजगार मुहैया कराया गया है।
इसके लिए भूमि पुत्रों को प्राथमिकता का कानून मध्य प्रदेश में राजनीतिज्ञों पर लागू नहीं हुआ। मध्यप्रदेश में स्थानीय लोगों को नौकरियां देने वाले का कानून आया तो दिल्ली सहित देश के राष्ट्रीय एकता और वालों के मन में अब तक कोई हलचल क्यों नहीं मची? ऐसा माना जा रहा है शिवराज सिंह चौहान ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है जिसमें युवाओं की सक्रिय भागीदारी है और शिवराज सिंह चौहान इन वोटों को अपने पाले में करना चाहते हैं। इस बार शिवराज सिंह चौहान ने अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश के द्वार अभी पूरी तरह से बंद कर दियें हैं। शिवराज सिंह चौहान अब इस पूरे मामले को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं। अब देखना यह होगा क्या शिवराज सिंह चौहान का यह फैसला उनके हित में साबित होगा?