सपा-बसपा की राजनीति पर अखाड़ा परिषद ने साधा निशाना, समाज को बांटने वाला बताया

भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाने वाली सियासत पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा है कि यह अवतारी महापुरुषों को जातियों में बांटने की साजिश है जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि राजनेता सनातन धर्म और हिंदू समाज को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणवाद राजनीति सक्रिय हो गई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ही ब्राह्मण वोटों को लुभाने के अलग-अलग प्रयास कर रहे हैं और इन सभी प्रयासों में सबसे बड़ा नाम भगवान परशुराम की मूर्ति का आ रहा है। एक पार्टी का कहना है कि हम सबसे बड़ी भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाएंगे तो दूसरी पार्टी का कहना है कि हम उससे भी बड़ी मूर्ति लगवाएंगे। इसी पर जब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से इस बारे में पूछा गया तो महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि यह अवतारी महापुरुषों को जातियों में बांटने की साजिश है जो कि गलत है।

उन्होंने कहा कि राजनेता सनातन धर्म और हिंदू समाज को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। नरेंद्र गिरी ने कहा कि महर्षि परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। वे सभी के आराध्य हैं। अखाड़ा परिषद विघटनकारी ताकतों का विरोध करेगा। इसके बारे में अखाड़ा परिषद अभियान भी चलाएगा।

कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी ने ऐलान किया था कि लखनऊ में भगवान परशुराम की 108 फीट की मूर्ति लगाई जाएगी। जिस पर बसपा प्रमुख मायावती ने सपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया। हालांकि मायावती ने भी उसी राजनीति को हवा दे दी। मायावती ने कहा कि भगवान परशुराम की मूर्ति हम समाजवादी पार्टी की मूर्ति से भी बड़ी लगाएंगे और महापुरुषों का सम्मान करते हुए अन्य संस्थान भी निर्मित करेंगे।

Image Source: Bhaskar

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