3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन खुशी संशोधन कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समापन होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा। भारत सरकार और किसानों के बीच न तो कोई बातचीत हो रही है और ना ही बातचीत के प्रयास किए जा रहे हैं। 12 दौर की वार्ता में न तो कोई हल इस समस्या के बारे में निकाला गया और ना ही अब किसान नेता सरकार से बात करने की इच्छा रख रहे हैं। किसान नेताओं का सीधा कहना है कि तीनों किसी कानूनों को वापस ले लिया जाए हम अपने घर वापस चले जाएंगे। वहीं सरकार का कहना है कि हम किसानों के हित के लिए कोई भी फैसला करने को तैयार है लेकिन बिना चर्चा के किसी भी फैसले पर आना संभव नहीं हो सकता। इसी बीच लोकसभा में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक ऐसी बात कही जिसे सुनने के बाद निश्चित रूप से देश को धक्का लग सकता है। उन्होंने बताया कि 9 नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत के विभिन्न राजमार्गों पर जो आंदोलन हो रहा है,उसके कारण पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 16 मार्च तक करीब 814 करोड रुपए के राजस्व को नुकसान पहुंच चुका है। नितिन गडकरी ने बताया कि किसानों के टोल नाकों को मुक्त कराने से भारी नुकसान हुआ है। भरपाई के लिए राज्यों को दोबारा इन्हीं टोल नाकों को स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा सबसे अधिक 487 करोड़ की राजस्व हानि पंजाब में हुई है,इसके बाद 326 करोड की हानि हरियाणा और 1.40 करोड़ राजस्व की हानि राजस्थान में हुई है। उनका कहना है कि किसी अन्य राज्य में किसान आंदोलन से राजस्व को कोई हानि नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब में फीस प्लाजा के सुचारू संचालन के लिए तत्काल हस्तक्षेप के लिए पंजाब सरकार से अनुरोध किया गया है।’’उन्होंने कहा कि एनएचएआई ने राजस्थान के मुख्य सचिव व संबंधित अधिकारियों को उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह फिर से शुरू करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।उन्होंने कहा कि सरकार को हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह को बहाल करने के लिए जिला और राज्य प्रशासन के साथ इस मामले को लगातार उठाया जा रहा है।