इस दुनिया में कई ऐसी जनजातियां हैं, जहाँ पर आज भी विज्ञान नहीं पहुँच पाया है। यह जनजातियां आज भी बेहद पारंपरित तरीके से रहती है और अपने पुराने रीति-रिवाजों का पालन करती है। दक्षिण अफ्रीका में कई ऐसी जनजातियां है, जो अपनी विभिन्न संस्कृति और प्रथाओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इन्हीं जनजातियों में एक जुलू (Zulu) नाम की जनजाति भी है, जो अपनी प्रथाओं और प्राचीन परंपराओं के लिए जानी जाती है। दक्षिण अफ्रीका की जनजातियों में जुलू जनजाति सबसे बड़ी है, जिनकी आबादी 1 करोड़ से भी अधिक है।
इस जनजाति में कई ऐसी प्रथाएं हैं, जिनके बारे में सुनकर आप उन्हें कुप्रथाओं का नाम भी दे सकते है। जुलू जनजाति में महिलाओं पर कई प्रकार की रोक-टोक लगाई जाती है। उन्हें 18 वर्ष तक घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती। यदि कोई महिला बाहर जाना जाती है तो उसे एक समुह में ही बाहर जाने की अनुमति होती है। हालांकि इस परंपरा को लोग अब ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते है और महिलाएं अब खुलकर बाहर जा सकती है। लेकिन इसके अलावा यहाँ एक अन्य परंपरा है, जो महिला के विवाह से पहले होती है। उमेमुलो नाम की यह प्रथा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।
इस रस्म के तहत यदि कोई महिला 21 वर्ष तक वर्जिन रहती है तो इस खुशी में उसके घर वाले एक बड़ी पार्टी का आयोजन करते है। यहाँ पर 21 वर्ष की उम्र तक महिला के वर्जिन रहने पर एक उत्सव मनाया जाता है। यदि कोई लड़की या उसके घरवालें यह उत्सव नहीं मनाते तो ऐसा मान लिया जाता है कि लड़की वर्जिन नहीं है और वह पहले किसी मर्द के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी है। समाज में इज्जत बनाए रखने के लिए प्रत्येक महिला को इस परंपरा का पालन करना ही होता है। जुलू जनजाति से ताल्लुक रखने वाली थेंबेला नाम की एक महिला ने हाल ही में यह परंपरा पूर्ण की है और इसका अनुभव उन्होंने वाइस इंडिया के साथ शेयर किया। थेंबेला ने बताया कि इस उत्सव की तैयारी लगभग 6 महीने पहले ही शुरू हो जाती है। उसके माता-पिता जानते थे कि उनकी बेटी वर्जिन है, लेकिन एक बार फिर भी थेंबेला की माँ ने अपनी बेटी से कंन्फर्म किया कि वह वर्जिन है या नहीं। बेटी से हाँ सुनने के बाद घर में जश्न की तैयारी शुरू हो गई।
उमेमुलो नाम के जश्न में लगभग 200 मेहमान शामिल हुए। सभी मेहमानों ने थेंबेला को पुरस्कार और पैसे गिफ्ट किए। वहीं थेंबेला के माता-पिता ने उपहार में उसे एक नई गाड़ी गिफ्ट की। इस आयोजन के दौरान एक गाय की बली भी दी जाती है। जुलू जनजाती में विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाने को अपवित्र माना गया है। कोई महिला वर्जिन है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए आयोजन में महिला को टॉपलेस होकर गाय का फैटी टिशू पहनाया जाता है। यदि वह गाय का टिशू फट जाए तो समझा जाता है कि महिला वर्जिन नहीं है और समाज में उसका बहिष्कार कर दिया जाता है।
थेंबेला ने बताया कि वह खुशकिस्मत थी और उनकी बारी में फैटी टिशू फटा नहीं। केवल जुलू जनजाति में ही नहीं बल्कि अधिकांश समाज और धर्मों में शादी से पहले सेक्स को गलत ही बताया है। थेंबेला का कहना है कि उन्हें इस परंपरा से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन यदि महिलाओं के लिए इस तरह की कोई परंपरा है तो पुरूषों के लिए भी ऐसी ही किसी परंपरा का होना जरूरी है। शादी से पहले सेक्स को लेकर किसी महिला चरित्रहीन नहीं कहा जा सकता। थेंबेला ने अपने आर्टिकल में यह भी कहा कि इस तरह की परंपराओं में महिलाओं को राइट टू चॉइस का अधिकार भी होना चाहिए।