यूपी में किरायेदारी कानून को योगी कैबिनेट की मंजूरी, सालाना बढ़ा सकते है मात्र 7% किराया

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर यूपी सरकार ने केंद्र के मॉडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर नया अध्यादेश तैयार किया है। मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवाद कम करने के लिए नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 बनाया है। इसे शुक्रवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

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चित्र साभार: ट्विटर @CMOfficeUP

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवाद कम करने के लिए उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 बनाया है।किरायेदारी अध्यादेश में अनुबंध के आधार पर ही किराये पर मकान देने का प्रवधान है। मकान मालिक किराये में मनमानी बढ़ोतरी भी नहीं कर सकेंगे। सालाना पांच से सात फीसद ही किराया बढ़ाया जा सकेगा। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में उत्तर प्रदेश शहरी भवन अधिनियम-1972 लागू है। यह कानून अब बहुत पुराना हो चुका है। यूपी में इस समय मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवाद बढ़ गए है। बड़ी संख्या में मामले अदालतों में चल रहे है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने केंद्र के मॉडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर नया अध्यादेश तैयार किया है। शुक्रवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए मंजूरी दे दी गई। अध्यादेश में ऐसी व्यवस्था की गई है कि मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। इसमें जो व्यवस्था है उसके अनुरूप आवासीय पर पांच फीसद और गैर आवासीय पर सात फीसद सालाना किराया बढ़ाया जा सकता है।किरायेदार को भी किराये वाले स्थान का ध्यान रखना होगा। दो महीने तक किराया न देने पर किरायेदार को मकान मालिक हटा सकेंगे।किरायेदार घर में बिना पूछे तोडफ़ोड़ नहीं कर सकेंगे। पहले से रह रहे किराएदारों के साथ यदि अनुबंध नहीं है तो इसके लिए तीन महीने का समय दिया गया है।

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