मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है” पढ़िए पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने वाले गंगापुर के लोगों की कहानी

आदिवासी गांव गंगापुर के ग्रामीणों ने 22 दिन में ढहुनाला पहाड़ को काटकर उसमें से कच्ची सड़क बना कर एक नया कीर्तिमान गढ़ा है। आश्चर्य की बात यह है कि इस पूरे परिश्रम में किसी भी आधुनिक मशीन का उपयोग नहीं किया गया और एक भी पेड़ नहीं काटा गया।

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आप सभी लोग दशरथ मांझी के बारे में जानते होंगे जिन्हें माउंटटेन मैन कहा जाता है। जिन्होंने अपनी पत्नी के प्रेम में एक विशालकाय पहाड़ को काटकर उसमें से अपने गांव के लिए रास्ता बना दिया था। आज हम ऐसे ही एक आदिवासी गांव की बात कर रहे हैं जिसका नाम है गंगापुर। गंगापुर के लोगों के पास लॉकडाउन के समय में कोई काम नहीं था और कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर नहीं जा रहा था इसलिए वहां के लोगों ने अपनी राह में कठिनाई बनकर खड़े ढहुनाला नामक पहाड़ को 22 दिनों में तोड़कर उसमें से कच्ची सड़क का निर्माण कर लिया।

आप सभी ने दक्षिण भारत की एक मशहूर फिल्म तो देखी ही होगी जिसका नाम था ‘इंदिरा द टाइगर’। इस फिल्म में मुख्य अभिनेता गांव वालों को पानी मुहैया कराने के लिए अपनी सारी संपत्ति को बेच देता है और पूरे गांव की मेहनत से आसपास के गांवों तक भी पानी पहुंचा देता है। कुछ ऐसा ही दृश्य गंगापुर के आदिवासी समुदाय की ओर से देखने को मिला। यहां के पुरुषों ने संघर्ष और पूरी ताकत के साथ इस विशालकाय पहाड़ को तोड़ कर उसमें से कच्ची सड़क का निर्माण किया तो घर की महिलाओं ने भी उन सभी पुरुषों का हाथ बटाया।

गांव की महिलाएं घर से भोजन समय पर बना कर ले जाती जिससे काम में कोई बाधा उत्पन्न न हो। आपको आश्चर्य होगा यह बात जानकर कि इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी आधुनिक मशीन का उपयोग नहीं किया गया है। गांव वालों ने कुदाल, साबल और कुल्हाड़ी से ही पूरा पहाड़ काट दिया। अब छोटे-छोटे बच्चे जब साइकिल पर बैठकर दूसरे गांव जा रहे हैं तो उनके चेहरे की मुस्कुराहट देखकर आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्हें कितनी खुशी हो रही होगी।

लेकिन कितने आश्चर्य की बात है कि आजादी के इतने साल बाद भी जो काम देश की सरकारों को करना चाहिए था वह काम गांव के युवा कर रहे हैं। एक तरफ हम सभी लोग उन गांव वासियों को बधाई देना चाहेंगे कि उनके परिश्रम ने इतने बड़े काम को अंजाम दिया लेकिन दूसरी तरफ हमें शर्म भी आती है कि आजादी के इतने सालों बाद भी हमारे देश के विकास की सड़क छोटे-छोटे गांव तक नहीं पहुंच सकी है।

Image Source: Jagran

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