उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी पूरी तरह से चुनावी मूड में आ चुकी है। वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी भी अपने दलित और ब्राह्मण वोटर को साथ लेकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है। लंबे समय से सत्ता से दूर रहने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार प्रदेश में अपनी सत्ता काबिज करना चाहती है। ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए विभिन्न स्थानों पर बहुजन समाज पार्टी के बैनर तले प्रबुद्ध सम्मेलन किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के दौरान कार्यकर्ता खूब नारेबाजी कर रहे हैं। कहीं जयश्रीराम के नारे लग रहे थे तो कहीं हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा, विष्णु महेश हैं। खास बात यह रही कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेषतौर से काशी से ब्राह्मण बुलाए गए थे जो लगातार शंख बजा रहे थे और वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे।
ब्राह्मणों के सहारे ‘बसपा’
कुछ समय पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने अयोध्या में कहा था कि भगवान श्रीराम सिर्फ समाजवादी पार्टी या भाजपा के नहीं हैं वे हमारे भी आराध्य हैं। उन्होंने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरुआत ही अयोध्या से की इसीलिए यह माना जा रहा था कि पार्टी अब दोबारा ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ेगी। आपको बता दें 2014 2019 का लोकसभा चुनाव मायावती के लिए काफी बुरा रहा है। इसके अलावा 2009 और 2017 के विधानसभा चुनावों में भी बहुजन समाज पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
रायबरेली से कार्यक्रम में शामिल होने आए जिला संयोजक कृष्णपाल तिवारी कहते हैं कि,”योगी आदित्यनाथ और बीजेपी की सरकार में ब्राह्मणेां पर बहुत अत्याचार हुआ। अबकी बार ब्राह्मण समाज सरकार को सबक सिखाएगा। बीते साढ़े चार साल में जिस तरह से ब्राह्मणों का उत्पीड़न हुआ उससे नाराजगी तो है ही। केवल विकास दुबे के परिजवार को जिस तरह से परेशान किया जा रहा है वह क्या है, ब्राह्मणों के अलावा सरकार को दूसरी जातियों में अपराधी क्यों नहीं दिखाई देते।”