वाशिंगटन | कोरोना वायरस को लेकर चीन पर जिस तरह से हमलावर था उससे यह आशंका बनी हुई थी कि जल्द ही अमेरिका की तरफ़ से चीन के खिलाफ बड़ी कार्यवाही होते दिख सकती है। यह आशंका निराधार नहीं थीं क्योंकि अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। राष्ट्रपति ट्रंप के कहने पर अमेरिकी प्रशासन ने चीन से अरबों डॉलर के अमेरिकी पेंशन फंड निवेश को वापस लेने का फैसला किया है। कोरोना संकट में अमेरिका और चीन के कूटनीतिक संबंध बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। कोरोना के साथ-साथ दोनों के बीच साउथ चाइना सी में भी तनातनी देखी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने चीन पर यह आरोप भी लगाया है कि उसने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और रिसर्च वर्क की चोरी की है। इस बाबत जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से चीन से निवेश वापस लेने की बात पूछी गयी तब उन्होंने कहा कि, “अरबों डॉलर, अरबों….हाँ…मैंने वापस ले लिया है।”
ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा,- “आपको पता है कि हर कोई सख्त इंसान बनना चाहता है। मैं बेहद सख्त इंसान हूं लेकिन क्या होता है न, वे कहते हैं कि ठीक है हम लंदन या फिर हॉन्ग कॉन्ग चले जाएंगे।” ट्रंप ने यह बात चीनी कंपनियों के अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के संबंध में कही थी।
उधर चीन में भी अमेरिका का विरोध होना शुरू हो गया है। चीन अब उन अमेरिकी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई पर विचार कर रहा है जिन्होंने सीनेट में कोरोना वायरस से निपटने के मुद्दे पर पेइचिंग के खिलाफ प्रतिबंद्ध का प्रस्ताव पेश किया है। इस मामलें में कांग्रेस के जिम बैंक्स ने कहा,- “चीन सरकार उनपर गुस्सा उतार रही है जिन्होंने कोरोना वायरस को लेकर गलत जानकारी देने के मामले में उन्हें जवाबदेह बनाने की कोशिश की है।”