जब शतक के करीब थे सचिन और हॉल्ट पर ही रोक दी गई ट्रेन

एक बार शिमला से दिल्ली जाने वाली ट्रेन को एक स्टेशन पर रुकना पड़ा था। तब सचिन के शतक को पूरा होते देखने के लिए ट्रेन को थोड़ी देर के लिए और रुकवा दिया गया था।

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सचिन तेंदुलकर, वो नाम जो शायद क्रिकेट की दुनिया में हमेशा के लिए अमर रहे। भारतीय क्रिकेट इतिहास में यूँ तो कई ऐसे खिलाड़ियों ने क्रिकेट में अपने नाम का लोहा मनवाया लेकिन अगर सचिन की बात करें तो ये वो बल्लेबाज था जिसने सिर्फ भारत के युवाओं को ही नहीं बल्कि विश्व के कई खिलाड़ियों को क्रिकेट खेलने के लिये प्रेरित किया। यही कारण है कि आज उन्हें क्रिकेट की दुनिया का भगवान कहा जाता है।

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सचिन सिर्फ एक बल्लेबाज ही नहीं हैं। वो इससे भी कई ज्यादा ऊपर हैं। सहवाग, कोहली, युवराज, रोहित शर्मा, धोनी जैसे खिलाड़ियों ने सचिन को देख कर ही क्रिकेट खेलना शुरू किया। कोई भी खेल एक खिलाड़ी को फेमस करता है लेकिन सचिन की वजह से क्रिकेट पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले सचिन जब शतक लगाते थे तो पूरा भारत उसे त्यौहार की तरह मनाता था। लेकिन सचिन के एक शतक की कहानी ऐसी है जो ये बताने के लिए काफी है कि फैंस उनके किस कदर दीवाने थे।

“सचिन का एक चौका देख कर ही चलेंगे भाई”

90 का दौर था, सचिन ने क्रिकेट को पूरे भारत में लोकप्रिय खेल बना दिया था। उस समय लोग रेडियो पर सचिन की बल्लेबाजी की कमेंट्री सुना करते थे। ट्रेन में यात्री सचिन की बल्लेबाजी का लुफ्त उठाते थे। उस समय अगर सचिन शतक के करीब होते थे तो ट्रेन को थोड़ी देर के लिए रुकवा भी दिया जाता था। ड्राइवर भी इस बात का बुरा नहीं मानते थे। सचिन शतक के करीब भी नहीं होते थे तो भी यात्री ट्रेन के ड्राइवर्स से कहते थे “सचिन का एक चौका देख कर ही चलेंगे भाई”।

जब हॉल्ट पर रुक गयी ट्रेन

ऑस्ट्रेलिया के जर्नलिस्ट पीटर रोबक ने एक बार लिखा था कि सचिन जब शतक के करीब थे तो कुछ समय के लिए ट्रेन को हॉल्ट पर रोक दिया गया था। दरअसल एक बार शिमला से दिल्ली जाने वाली ट्रेन को एक स्टेशन पर रुकना पड़ा। ट्रेन हमेशा की तरह कुछ मिनट के लिए रुक गई। सचिन शतक के करीब थे और 98 रनों पर बल्लेबाजी कर रहे थे। यात्रियों, रेलवे अधिकारियों, ट्रेन पर हर कोई सचिन के शतक पूरा करने के लिए इंतजार कर रहा था। उस समय ऐसा लग रहा था मानो सचिन ने समय को ही रोक दिया हो। पूरा स्टेशन सचिन के नाम से गूंजने लगा था।

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