इन फिल्मों ने सिखाया दुनिया को दोस्ती का मतलब, दुनिया के लिए उदाहरण बनी 3 ईडियट से लेकर जय वीरू की जोड़ी

आज मित्रता दिवस पर इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में जिन्होंने वास्तव में दोस्ती के असली मतलब को समझाया है। इन फिल्मों में दोस्तों ने जिस प्रकार एक दूसरे की मदद की है वह काबिल-ए-तारीफ है।

0
925

भारत में दोस्ती पर आधारित बहुत सारी फिल्मों का निर्देशन किया गया है। लेकिन उनमें से बहुत सारी फिल्में ऐसी हैं जो आज भी दोस्ती के असली मतलब को समझाने के लिए काफी हैं। आज मित्रता दिवस (Friendship Day) है और लोग अपने दोस्तों के साथ इस दिन को मनाते हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं कि भारत की वह कौन सी फिल्में हैं जिसमें दोस्ती के अर्थ को बहुत अच्छी तरह समझाया गया है।

दिल चाहता है

तीन दोस्तों की दिल को छू लेने वाली कहानी थी फिल्म ‘दिल चाहता है’। ‘दिल चाहता है’ में विचारों में अंतर होने के बाद भी तीन दोस्त एक-दूसरे का नजरिया समझने का प्रयास करते हैं। 10 अगस्त 2001 में रिलीज फरहान अख्तर निर्देशित यह फिल्म ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। 120 मिलियन के बजट में बनी दिल चाहता है का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 456 मिलियन था।

थ्री इडियट्स

‘थ्री इडियट्स’ में तीन दोस्त तीन अलग-अलग तरह की मानसिकताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन उनकी दोस्ती में कभी दरार नहीं आती। इस फिल्म में जिस तरह बताया गया है कि युवाओं को अपने सपनों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए, उसे लेकर बहुत सारे युवाओं में नई चेतना आई है। अपने कंटेंट के कारण यह फिल्म भी सुपरहिट साबित हुई थी। इंजीनियरिंग कॉलेज के बैकग्राउंड पर बनीं यह फिल्म शिक्षा पद्घति पर बदलावों पर खुला विमर्श करती है। आमिर, माधवन और शरमन की ये फिल्म आज भी दोस्ती की मिसाल कायम करती है।

जिंदगी न मिलेगी दोबारा

फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ में दोस्ती की एक नई ही कहानी लिखी गई है। यह फिल्म जीवन में दोस्ती के महत्व को अंडरलाइन करती हुई चलती है। यह फिल्म बताती है कि जीवन में खुद से बात से करना, अपने सपनों से बात करना और अपने दोस्तों से बात करना कितना जरूरी है।

शोले

जब भी दोस्त शब्द जाता है तो सबसे पहले शोले फिल्म का नाम सबके दिलों दिमाग में आ जाता है… इस फिल्म का सबसे बेहतरीन गाना ही दोस्ती (Friendship Day) के अर्थ को समझाता है जिसके बोल हैं, ” यह दोस्ती हम नहीं तोडेंगे… तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे… ” 1975 में आई फिल्म शोले में जय-वीरू की दोस्ती हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फ्रेंडशिप में शुमार हो गई। इस फिल्म में दो दोस्तों की कहानी दिखाई गई थी जो एक दूसरे पर अपनी जान निछावर कर देते थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here