हम सभी जानते हैं कि प्रदूषण के कारण पूरी दुनिया में विभिन्न तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। यह समस्याएं केवल मनुष्य को ही नहीं अपितु जीव-जंतुओं को भी प्रभावित करती हैं। हाल ही में रूस के वैज्ञानिकों ने वॉलरस (Walrus) नामक जीवों की एक बड़ी कॉलोनी को खोजा जो अपने वास्तविक निवास स्थान से काफी दूर रह रहे थे। इस कॉलोनी में करीब 3000 वॉलरस मौजूद थे। रूसी वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सभी वॉलरस समुद्र के तट पर प्रजनन तथा अन्य क्रियाओं में व्यस्त हैं। सामान्यतः आइए अपने सामाजिक जीवन को जीने के लिए बर्फ के ठंडे टुकड़ों पर जाकर रहते हैं। लेकिन इस बार यह जीव समुद्र से 600 किलोमीटर दूर आकर रहने लगे हैं।
आर्कटिक सर्किल पर शोध कर रहे रूसी वैज्ञानिक एलेक्जेंडर सोकोलोव ने बताया कि यह अद्भुत नजारा है। उनका कहना है कि सामान्य रूप से प्रजनन यह सामाजिक गठजोड़ के लिए यह जीव कारा सागर में मौजूद बर्फ के टुकड़ों पर जाते थे। लेकिन इस बार, ये तट पर आ गए हैं। यानी कारा सागर में इतना बड़ा समुद्री बर्फ का टुकड़ा नहीं बचा जहां ये अपनी निजी और सामाजिक जीवन को जी सकें।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आंद्रेई ने कहा है कि ग्लोबल वार्मिंग और इंसानों द्वारा बड़े प्रदूषण के कारण ठंडे इलाकों में बर्फ पिघलने लगी है। जिसके कारण इन्हें दूसरे इलाकों में जाकर रहना पड़ रहा है। बर्फ की कमी होने के कारण इन जीवो को बहुत ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और यह अपने निवास स्थान से विस्थापित हो गए हैं।