हम सभी जानते हैं कि विश्व में बहुत सारे धर्म हैं। अलग-अलग धर्मों की अपनी मान्यताएं हैं। लोग विभिन्न धर्मों के हिसाब से अपने क्रियाकलापों को अंजाम देते हैं। आपको बता दें कि 2019 में यह दावा किया गया था कि मुस्लिमों की आबादी में अगर ऐसे ही इजाफा होता रहा तो ये साल 2050 तक जनसंख्या के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय बन सकता है। दुनिया में फिलहाल क्रिश्चियनिटी को मानने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है लेकिन आने वाले कुछ वर्षों में यह संख्या पलट सकती है।
वर्ल्ड रिलीजन डेटाबेस ने 1910 से 2010 के बीच दुनिया भर के देशों में रह रहे धार्मिक लोगों की आबादी के अध्ययन के आधार पर बताया गया था कि इन 100 सालों में इस्लाम सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म है जबकि उसके बाद सबसे तेजी से नास्तिक (धर्म न मानने वाले) लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस स्टडी में यह भी सामने आया था कि 2050 तक भारत में भी मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ेगी। भारत में हिंदू ही बहुसंख्यक रहेंगे लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में होगी। बता दें कि फिलहाल इंडोनिशिया के बाद भारत में सबसे अधिक मुस्लिम रहते हैं।
इन धर्मों का अस्तित्व खतरे में
पारसी धर्म
पारसी समुदाय मूलत: ईरान का रहने वाला है। ईरान कभी पारसी राष्ट्र हुआ करता था। पारसियों में कई महान राजा, सम्राट और धर्मदूत हुए हैं। लेकिन चूंकि पारसी अब अपना राष्ट्र ही खो चुके हैं तो उसके साथ उनका अधिकतर इतिहास भी खो चुका है। पारसी धर्म ईरान का प्राचीन धर्म है। ईरान के बाहर मिथरेज्म के रूप में रोमन साम्राज्य और ब्रिटेन के विशाल क्षेत्रों में इसका प्रचार-प्रसार हुआ। इसे आर्यों की एक शाखा माना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में इस धर्म को मानने वाले लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि अभी इस धर्म को मानने वाले लोगों को संरक्षण नहीं मिलता है तो फिर यह धर्म भी अस्तित्व हीन हो सकता है।
जैन धर्म
जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। आर्यों के काल में ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा का वर्णन भी मिलता है। महाभारतकाल में इस धर्म के प्रमुख नेमिनाथ थे। भगवान बुद्ध के अवतरण के पूर्व तक जैन धर्म देश का दूसरा सबसे बड़ा धर्म था। सम्राट अशोक के कार्यकाल में जैन धर्म अपने प्रभुत्व पर था लेकिन धीरे-धीरे इसी काल में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। और जैन धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या में कमी होने लगी। इसके बहुत सारे कारण माने जा सकते हैं जैसा कि मुगल आक्रांता ओं के द्वारा भारत में आकर जैन धर्म के प्रसिद्ध मंदिरों का विध्वंस करना। और जैन धर्म की कुछ कड़ी नीतियां। जिनको मानना उस समय में बहुत ही कठिन होने लगा था।
मुगल शासनकाल में हिन्दू, जैन और बौद्ध मंदिरों को आक्रमणकारी मुस्लिमों ने निशाना बनाकर लगभग 70 फीसदी मंदिरों का नामोनिशान मिटा दिया। दहशत के माहौल में धीरे-धीरे जैनियों के मठ टूटने एवं बिखरने लगे लेकिन फिर भी जैन धर्म को समाज के लोगों ने संगठित होकर बचाए रखा। जैन धर्म के लोगों का भारतीय संस्कृति, सभ्यता और समाज को विकसित करने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आपको बता दें कि वर्तमान में भारत के भीतर लगभग 42 से 43 लाख के आसपास ही है।