उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार गुलामी के प्रतीकों को मिटाने की कोशिश कर रही है। इसी श्रंखला में उन शहरों के नामों को पुनः परिवर्तित किया जा रहा है जिन्हें कभी मुगल शासकों द्वारा अपने शासन के बल पर परिवर्तित किया गया था। इलाहाबाद का नाम ‘प्रयागराज’ होने के बाद से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। आपको बता दें कि प्रयागराज के चार रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले जा चुके हैं। पहले इलाहाबाद जंक्शन को ‘प्रयागराज जंक्शन’, तत्पश्चात ‘इलाहाबाद सिटी स्टेशन’, ‘रामबाग’ और ‘इलाहाबाद छिवकी स्टेशन’ का भी नाम बदला गया था। साथ ही प्रयागराज घाट का नाम बदलकर ‘प्रयागराज संगम’ कर दिया गया था। इसके बाद फैजाबाद जिले का नाम बदल कर ‘अयोध्या’ किया गया।
सबसे पहले मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल स्टेशन किया गया था। इसके बाद मुगलसराय तहसील का नाम भी दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रख दिया गया। प्रदेश में गांव की सरकार बनने के बाद अलीगढ़ का नाम ‘हरिगढ़’, मैनपुरी का नाम ‘मयन नगरी’ और फीरोजाबाद का नाम ‘चंद्रनगर’ करने का फैसला लिया गया है।
आपको बता दें कि उन्नाव की मियागंज ग्राम पंचायत में ही ब्लाक मुख्यालय भी है। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां जनसभा में घोषणा की थी कि अगर सरकार बनी ताे मियागंज का नाम बदलकर ‘मायागंज’ कर दिया जाएगा। सरकार के चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की है। जिस पर क्षेत्रीय विधायक बंबालाल दिवाकर ने 31 जुलाई को डीएम को पत्र लिखा। जिसमें मियागंज का पुराना नाम भूपतिखेड़ा था बताया अब इसे मायागंज करने की मांग की है। डीएम ने विधायक के पत्र पर बीडीओ और एसडीएम से आख्या मांगी थी।
खंड विकास अधिकारी राजीव कुमार सिंह ने ग्राम पंचायत की खुली बैठक कराई, जिसमें ग्रामपंचायत प्रधान व सदस्यों ने भी नाम बदलने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। डीएम ने मंगलवार को मियागंज का नाम बदलकर मायागंज करने का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज को भेज दिया है। डीएम ने बताया कि उम्मीद है जल्द मंजूरी मिलेगी।