अटल बिहारी वाजपेयी को परास्त करने के लिए सरकार ने लिया था फ़िल्मों का सहारा, जानिए पूरा किस्सा!

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का जन्म नाम आता है, तो कई लोगों मंत्र मुक्त भी हो जाते है। अटल जी से सत्ताधारी पार्टी भी काफी भय खाती थी, इसलिए साल 1977 रामलीला मैदान में आयोजित हुए अटल जी की एक रैली का भी था, जिसे खराब करने के लिए तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फिल्मों का सहारा लिया था।

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का नाम आता है, तो कई लोगों की आंखें भी नम हो जाती और वो मंत्र मुक्त भी हो जाते है। देश की राजनीति में जब भी अटल जी किसी भी मुद्दे के बारे में बात करते थे। लोग उन्हें गौर से सुना करते थे और उनकी रैलियों में लाखों में भीड़ इकट्ठा होती थी। ऐसा ही कुछ नजारा साल 1977 के रामलीला मैदान में आयोजित हुए अटल जी की एक रैली का भी था, जिसे खराब करने के लिए तब के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फिल्मों का सहारा लिया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साल 1977 में विपक्ष की पार्टी ने रामलीला मैदान में एक रैली का आयोजन किया था, जिसमें अटल बिहारी वाजपेई भी शामिल हुए थे। उन्होंने रात के समय में अपने भाषण की शुरुआत की थी, जिसमें सबसे पहले उन्होंने कुछ कविताएं पढ़ी, जिसमें उन्होंने कहा, ”बड़ी मुद्दत के बाद मिले हैं दीवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफ़साने।” अटल जी के इस कविता के बाद वहां पर खड़े लोगों ने लगातार तालियां बजाई और उनका भव्य स्वागत किया। अटल जी ने अपनी रैली में सत्ताधारी सरकार पर भी निशाना साधा था। साथ ही कई कविताएं भी सुनाई। लेकिन वही तत्कालीन सरकार ने अटल बिहारी वाजपेई के सभा को खराब करने के लिए एक मास्टर प्लान बनाया था, लेकिन वह भी फेल हो गया।

दरअसल खबरों के अनुसार उस समय फिल्म बॉबी का बोलबाला था। कई लोग इस फिल्म के दीवाने थे। इसी वजह से जब अटल बिहारी वाजपेई की रात के समय जनता को संबोधित कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर दूरदर्शन पर बॉबी को दिखाने का प्रयास किया गया। हालांकि लोगों ने फिल्म बॉबी को नजरअंदाज करते हुए अटल बिहारी वाजपेई के संबोधन को सुना था। बता दे एक इंटरव्यू में अटल जी ने इस बात का खुलासा किया था कि उन्हें अभिनेत्री हेमा मालिनी काफी ज्यादा पसंद है और उनकी फिल्म सीता और गीता उन्होंने 25 बार देखी और उनसे मिलना भी चाहते हैं।

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