पूरे यूरोप पर मंडरा रहा है डेल्टा वेरिएंट का खतरा, टीके के प्रभाव को भी कर देता है कम

कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता व्यक्त की है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे पहले भारत में पाए गए कोविड-19 डेल्टा वेरिएंट ब्रिटेन में पाए गए अल्फा स्वरूप से लगभग 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है।

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कोरोनावायरस का प्रकोप पूरे विश्व से धीरे-धीरे समाप्त होता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत में तबाही मचाने के पश्चात अब देश के विभिन्न राज्यों में संक्रमण के मामलों में कमी आई है वहीं मृत्यु दर भी कम होती जा रही है। लेकिन इसी बीच ऐसी खबरें भी सामने आ रही है जहां यह कहा जा रहा है कि अब पूरे यूरोप डेल्टा वेरिएंट का खतरा मंडरा रहा है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे पहले भारत में पाए गए कोविड-19 डेल्टा वेरिएंट या चिंताजनक वेरिएंट (वीओसी) बी1.617.2, ब्रिटेन में पाए गए अल्फा स्वरूप से लगभग 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है और टीकों की प्रभावशीलता को भी कुछ हद तक कम कर देता है।

आपको बता दें कि साप्ताहिक आधार पर वीओसी का पता लगा रहे पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने कहा कि देश में डेल्टा वीओसी के मामले 29,892 की वृद्धि के साथ 42,323 तक पहुंच गए हैं। इसमें लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप निदेशक ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 का उच्च संचरण वाला प्रकार क्षेत्र में जड़ जमा सकता है क्योंकि कई देश प्रतिबंधों में ढील देने की तैयारी कर रहे हैं और अधिक सामाजिक कार्यक्रमों तथा सीमा पार यात्राओं की अनुमति दे रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी चेतावनी

WHO के डॉ. हंस क्लूगे ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था कि इस प्रकार को ‘डेल्टा’ प्रकार के नाम से भी जाना जाता है और इस पर कुछ टीकों के प्रभावी नहीं होने के भी लक्षण हैं। आबादी का कुछ हिस्सा खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अब भी टीका नहीं लगा है। पिछली गर्मियों के दौरान कम उम्र के लोगों में मामले धीरे-धीरे बढ़ते गए और फिर बुजुर्ग लोगों में संक्रमण फैला, जिससे महामारी का प्रकोप अत्यधिक बढ़ गया।

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