क्रिकेट को भले ही भारत का राष्ट्रीय खेल ना माना जाता हो लेकिन इस खेल की लोकप्रियता भारत मे बाकी दूसरे खेलों से काफी ज्यादा है। इस खेल और खिलाड़ियों से प्यार करने वाले फैंस भारत के कोने कोने में मिल जाएंगे। क्रिकेट में आमतौर पर तीन फॉर्मेट होते है। टेस्ट, वनडे और टी-20 फॉर्मेट का ये खेल हर फॉर्मेट के अलग पहलू के साथ जाना जाता है। टेस्ट क्रिकेट को आज भी सबसे कठिन और असल फॉर्मेट माना जाता है। जबकि एकदिवसीय क्रिकेट अपनी तेजी की वजह से पूरे विश्व में अलग पहचान बना चुका है।
कई ऐतिहासिक लम्हों का गवाह माने जाना वाला क्रिकेट समय के साथ काफी बदल चुका है। एक दौर था जब टेस्ट क्रिकेट ही एकलौता फॉर्मेट माना जाता था। लेकिन समय के साथ वनडे और टी-20 क्रिकेट ने खुद को इस खेल के साथ जोड़ लिया। वनडे की बात करें तो बहुत ही कम लोगों को इस बारे में जानकारी होगी की आखिर इस फॉर्मेट की शुरुआत कब और किस तरह से हुई? आज हम आपको उस एक मैच के बारे में बताने जा रहे है जिसके बाद एकदिवसीय क्रिकेट की शुरुआत हुई थी।
कब शुरु हुआ वनडे क्रिकेट?
1970 में इंगलैंड की टीम ने ऐशेज के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। यही वो साल था जब पहली बार वनडे क्रिकेट की औपचारिक रुप से शुरुआत हुई। 6 मैचों की उस ऐशेज सीरीज का पहला टेस्ट ब्रिस्बेन में खेला गया, जो ड्रॉ पर खत्म हुआ। दूसरा टेस्ट मैच पर्थ में खेला गया और यह भी ड्रॉ पर खत्म हुआ। शुरुआती दो मुकाबले ड्रॉ होने के बाद तीसरा टेस्ट मेलबर्न के मैदान पर खेला गया। पहला वनडे मैच 5 जनवरी, 1971 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया था।
बारिश की वजह से शुरु हुआ एकदिवसीय क्रिकेट
50 साल पहले मेलबर्न के मैदान पर हुई बारिश ने ही वनडे क्रिकेट की शुरुआत की। दरअसल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच उस ऐशेज सीरीज का तीसरे टेस्ट के पहले तीन दिन बारिश की वजह से रद्द हो गए थे। मैच अधिकारियों ने उस टेस्ट को रद्द करने की पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन उस टेस्ट मैच के धुलने से आयोजकों को लगभग 80 हजार पाउंड का घाटा उठाना पड़ रहा था। दूसरी तरफ दर्शकों की टिकट वापस देने की जिम्मेदारी भी पूरी तरह से आयोजकों पर आ चुकी थी। इसके बाद दोनों देशों के अधिकारियों ने तय किया कि मेलबर्न के स्थानीय लोगों के मनोरंजन और दोनों टीमों के खिलाड़ियों के आर्थिक मुनाफे को ध्यान में रखकर दोनों टीमों के बीच 40-40 ओवरों (8 गेंदों का 1 ओवर) का एक वनडे मैच आयोजित किया जाए। यही वो पहला मुकाबला था जिसके बाद वनडे क्रिकेट इस खेल का एक अहम हिस्सा बन गया।
आयोजकों को हुआ भारी मुनाफा
40 ओवरों के इस खेल के बाद आयोजकों को काफी फायदा भी हुआ। तंबाकू उत्पाद बनाने वाली राॅथमैंस कंपनी इस मैच को स्पॉन्सर कर रही थी। कंपनी ने इस मैच के लिए 20 हजार टिकट बेचने का लक्ष्य रखा ताकि पैसा निकल सके। लेकिन इस मुकाबले में आयोजकों को उम्मीद से कई ज्यादा मुनाफा मिल गया। 20 हजार की जगह इस मुकाबले को देखने के लिए मैदान में 40 हजार दर्शकों की भीड़ पहुंच गई। इस मैच की सफलता को देखते हुए ICC यानी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने इसे अंतर्राष्ट्रीय मैच की मान्यता प्रदान कर दी।
क्या रहा था उस मैच का हाल
उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इंगलैंड को बुरी तरह से शिकस्त दी थी।इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की और जॉन एड्रिच के 82 रनों की पारी के बावजूद वे 40 ओवरों में केवल 190 रन ही बना सकी। जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने इयान चैपल के 60 रनों की पारी के बदौलत 35 ओवरों में ही लक्ष्य हासिल कर लिया।इंग्लिश-11 के जाॅन एंड्रिच को मैन ऑफ द मैच चुना गया और वे 90 पाउंड की राशि के साथ वनडे क्रिकेट में मैन ऑफ द मैच बनने वाले पहले क्रिकेटर बने।