शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की पड़ी टिप्पणी, “विरोध करने का अधिकार कहीं भी और कहीं भी नहीं हो सकता “

आज सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें शाहीनबाग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा कि विरोध करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता।

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आप सभी को याद होगा किसान आंदोलन से पहले करीब 2 महीने तक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली में देश की प्रमुख सड़कों को घेरकर शाहीन बाग आंदोलन चलाया गया था। शाहीन बाग आंदोलन का समाधान जब हुआ तो पूरे देश के कई हिस्सों में दंगे हुए। आज सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा शाहीनबाग को लेकर दिए गए फैसले पर विचार करने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, ” विरोध करने का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता। शाहीन बाग में ANTI CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा बैध नहीं है!”

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि विरोध किया जा सकता है। लेकिन लंबे समय तक विरोध या असंतोष के कारण दूसरों के अधिकारों को प्रभावित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अनिरुद्ध बोस तथा किशन मुरारी की पीठ ने कहा हमने सिविल अपील में पुनर्विचार याचिका और रिकॉर्ड पर विचार किया। हमने उसमें कोई गलती नहीं पाई।पीठ,जिसने हाल ही में आदेश पारित किया है, पीठ ने कहा कि इसने पहले के न्यायिक घोषणाओं पर विचार किया है और अपनी राय दर्ज की है कि संवैधानिक योजना विरोध प्रदर्शन और असंतोष व्यक्त करने के अधिकार देती है, लेकिन कुछ कर्तव्यों की बाध्यता के साथ।

इस फैसले पर विचार करने के लिए याचिका दायर की गई थी, ये फैसला वकील अमित साहनी द्वारा शहीन बाग क्षेत्र में एक सड़क की नाकाबंदी के खिलाफ नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए आया था।

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