सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, फरार या भगोड़े अपराधी को नहीं है अग्रिम जमानत का हक

सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में पटना हाई कोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करते हुए कहा है कि धारा 82 के तहत भगोड़े या फरार अपराधी को अग्रिम जमानत का हक नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट के द्वारा धोखाधड़ी के एक मामले में पटना हाईकोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया गया।  इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि फरार या भगोड़ा घोषित अपराधी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। आपको बता दें कि जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 82 और 83 के तहत कार्यवाही की अनदेखी करते हुए आरोपी को अग्रिम जमानत देने में गलती की है। अगर किसी को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत भगोड़ा अपराधी घोषित किया जाता है, तो वह अग्रिम जमानत संबंधी राहत पाने का हकदार नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि शीर्ष अदालत पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निचली अदालत द्वारा सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत कार्यवाही शुरू किए जाने की अनदेखी करते हुए धोखाधड़ी के एक आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी गई थी। हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

क्या है सीआरपीसी की धारा 83?

आपको बता दें कि इस दंड प्रक्रिया सहिता में “फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की“ का प्रावधान किया गया है। धारा 82 के अधीन उद्घोषणा जारी करने वाला न्यायालय, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे उद्घोषणा जारी किए जाने के पश्चात् किसी भी समय, उसकी संपत्ति की कुर्की की जा सकती है।

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