सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर लगाई अस्थाई रोक, अब क्या होगा सरकार और किसानों का रुख?

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए अस्थाई रोक लगा दी है। सरकार और किसानों के बीच जारी विवाद को सुलझाने के लिए कोर्ट ने एक कमेटी का गठन भी किया है। यह कमेटी सभी पक्षों से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करेगी।

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कृषि कानूनों को लेकर सरकार और पिछले करीब डेढ़ महीने से धरने पर बैठे हजारों किसानों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ किसान लगातार सरकार से कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। तो वहीं सरकार भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है कि अब इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा है। किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली निकालने पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल की थी। जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा है कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली निकाले जाने पर रोक लगाने पर सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करे। वहीं इस पुरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आपना फैसला सुना दिया है।

सुप्रीम कोर्ट पहले ही सरकार को इस मामले में फटकार लगा चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों और केंद्र सरकार के बीच चल रहे इस विवाद का अभी तक हल ना निकाल पाने को लेकर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा था ‘आज उसकी असफलता के कारण कोर्ट को कमेटी बनाने पर विचार करना पड़ा है। हम आलोचना नहीं करना चाहते लेकिन आप मसले को सही तरीके से डील नहीं कर रहे हैं।‘ वहीं इस पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक केंद्र सरकार के तीनो कृषि कानूनों क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया झटका

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है। जिन कानूनों को लेकर केंद्र पिछले 47 दिनों से किसानों से सीधे तौर पर लोहा ले रही थी उस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अस्थाई रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले को सुलझाने के लिए एक कमिटी बनाने के निर्देश भी दिए हैं। यह कमेटी सभी पक्षों से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करेगी। हालांकि अभी तक केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों पर रोक लगाए जाने के बाद सरकार आगे क्या रुख अपनाती है?

ट्रैक्टर रैली के खिलाफ नोटिस

दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हजारों किसानों ने 26 जनवरी के दिन यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर एक विशाल ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की घोषणा की थी। इसी ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाए जाने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी दायर किया था। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को होने वाली इस ट्रैक्टर रैली को लेकर किसान संगठनों के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है।

सरकार के आलाव दिल्ली पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की मांग की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ‘किसी भी रैली को आयोजित करने से पहले एक लिखित सूचना दी जाती है, जिसके बाद पुलिस-प्रशासन की शर्तों के मुताबिक रैली का आयोजन होता है। लेकिन, किसान संगठनों की तरफ से ऐसी कोई लिखित सूचना नहीं दी गई है। साथ ही हम अपने आदेश में यह भी कहेंगे कि किसान संगठन दिल्ली में रामलीला मैदान या किसी अन्य स्थान पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास आवेदन कर सकत हैं।’

अब क्या होगा सरकार और किसानों का रुख?

पिछले डेढ़ महीने से चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई पहले ही कर चुकी थी। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच जारी विवाद को सुलझाने के लिए कोर्ट ने जिम्मेदी कमेटी को सौंप दी है। किसानों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को स्वागत किया है। लेकिन किसान अपने प्रदर्शन को जारी रख सकते थे।

उनकी मांग किसान कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की है, उनके मुताबिक सिर्फ रोक लगाना काफी नहीं है। जिस वजह से उनका आगे का रुख स्पष्ट दिखाई दे रहा है। लेकिन वहीं अगर सरकार की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र के सामने इस कानून को लेकर बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। कोर्ट ने जिस तरह से केंद्र को फटकार लगाई है उसके बाद ऐसा माना जा सकता है कि सरकार आने वाले समय में किसानों की हर मांग को स्वीकार करने के लिए तैयार हो सकती है।

47 दिनों से जारी है प्रदर्शन

गौरतलब है कि सरकार के इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 47 दिनों से दिल्ली में देशभर के कई बड़े राज्यों से किसान लगातार धरने पर बैठे हैं। इस प्रदर्शन को लेकर डेढ़ महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक किसानों और सरकार के बीच बातचीत में भी हल नहीं निकला है। किसान नेताओं ने दावा किया है कि इस प्रदर्शन में करीब 54 किसानों की जान भी जा चुकी है जिसके वजह से किसान संगठन केंद्र सरकार से और भी नाराज हैं। किसान लगातार उग्र प्रदर्शन की धमकियां दे रहे हैं। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली का आयोजन कर किसान संगठनों ने केंद्र सरकार पर इस कानून को वापस लेने का पूरा दबाव भी बना लिया है। किसी चलते कृषि कानूनों पर रोक लगाना केंद्र सरकार के लिए अब जरूरी होता जा रहा है।

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