पाकिस्तान पर लगातार मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। इसी बीच पाकिस्तान ने अपने लिए एक और मुसीबत को बुलावा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान ने सऊदी अरब को कश्मीर मामले पर चुप्पी साधने के कारण खरी-खोटी सुनाई थी और सऊदी अरब को धमकी भी दी थी। जिसका अंजाम पाकिस्तान को आज भुगतने को मिला। सऊदी अरब ने पाकिस्तान से अपना वित्तीय समर्थन वापस ले लिया है।
अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3 साल के लिए 6.2 बिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज देने की घोषणा की थी। जिसमें 3 बिलियन डॉलर का नगद सहायता भी शामिल थी। जबकि बाकी के पैसों के स्थान पर पाकिस्तान को तेल और गैस सप्लाई की जानी थी। लेकिन पाकिस्तान के कर्मों के कारण अब सऊदी अरब ने इस डील को पहले ही तोड़ दिया है। अब पाकिस्तान दोबारा से कंगाली की ओर अग्रसर है।
पाकिस्तानी पेट्रोलियम विभाग के प्रवक्ता ने कहा, “यह करार मई में समाप्त हो गया। वित्तीय विभाग इसके नवीनीकरण का प्रयास कर रहा है।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को सऊदी अरब सरकार के जवाब का इंतजार है। बजट अनुमानों के अनुसार सरकार को वित्तीय वर्ष 2020 में न्यूनतम 1 अरब डॉलर का कच्चा तेल मिलने की उम्मीद है। पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष जुलाई से शुरू होता है। नवभारत टाइम्स के एक लेख के अनुसार पाकिस्तान ने समय से 4 महीने पहले 1 अरब डॉलर सऊदी अरब को दे चुका है।
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