भारतीय महिला हॉकी आज एक नए मुकाम पर पहुंच चुका है। जिस पुरुष हॉकी टीम से ओलंपिक मेडल की उम्मीद की जाती थी, आज महिला टीम से भी फैंस को काफी उम्मीदें रहती हैं। महिला हॉकी को आज अलग पहचान दिलाने में उन खिलाड़ियों का योगदान रहा है जिन्होंने समाज की परवाह किए बिना राष्ट्र को सर्वोपरि रखा। ऐसा ही एक नाम है भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल का।
महज 6 साल की उम्र से हॉकी की दुनिया में कदम रखने वाली हरयाणा की रानी रामपाल भारतीय टीम की कप्तान हैं और उनके नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी टीम नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। रानी की टीम जिस तरह से पिछले कुछ सालों में प्रदर्शन कर रही है, उसे देखते हुए फैंस भारतीय महिला हॉकी टीम से अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक मेडल की उम्मीद कर रहे हैं।
आसान नहीं था सफर
रानी रामपाल उस जगह से आती हैं जहां लड़कियों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती थी। लेकिन उन्होंने इस प्रथा को तोड़ते हुए भारतीय टीम में 14 साल की उम्र में जगह बनाई। रानी एक गरीब परिवार से थी। रानी के पिता तांगा चलाते हैं। अपने घर के पालन पोषण के लिए ही रानी ने हॉकी खेलना शुरू किया था। लेकिन कौन जानता था कि आज वह भारतीय टीम की कप्तानी संभाल रही होंगी।
रानी की उपलब्धियां
- 2009 रूस में होने वाले चैंपियन्स चैलेंज टूर्नामेंट में रानी ने फाइनल में 4 गोल कर टॉप गोल स्कोरर और यंग प्लेयर ऑफ़ टूर्नामेंट का खिताब जीता था।
- 2010 में उन्हें एशियाई खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन के चलते एशियाई हॉकी महासंघ की ऑल स्टार टीम में जगह मिली। अर्जेंटीना महिला हॉकी विश्व कप में रानी ने 7 गोल दागे और भारत को हॉकी रैंकिंग में 7वां पायदान दिलाया।
- 2013 जूनियर हॉकी विश्व कप में रानी रामपाल की कप्तानी में भारत ने कांस्य पदक जीता और रानी रामपाल को प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का खिताब मिला। भारतीय हॉकी टीम में रानी के योगदान को देखते हुए साल 2016 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया
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