लंदन में रहने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने किया खुद को किया बिहार CM रेस में शामिल

0
302

बिहार । बिहार के सियासी गलियारों में एक नाम चर्चा का विषय बन गया है। उस नाम और उसकी शख्सियत के बारे में जानने की उत्सुकता हर एक में है कि आख़िरकार वो कौन है जो बिहार का मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रही है। हम बात कर रहे हैं लंदन में रहने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी की। पुष्पम प्रिया चौधरी सुर्खियों में तब आई जब 8 मार्च को अख़बारों में विज्ञापन के माध्यम से खुद को बिहार मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया। बिहार ही नहीं पूरे देश भर में यह जानकर सनसनी-सी फ़ैल गई कि पुष्पम प्रिया चौधरी दरभंगा के वर्तमान जदयू अध्यक्ष अजय चौधरी की भतीजी और जदयू के पूर्व एम एल सी विनोद चौधरी की बेटी हैं।

लोग कान बिछाए बैठे रहे कि शायद सूबे की सरकार या उनके खास की तरफ से कुछ वक्तव्य ही आ जाए। लेकिन नीतीश सरकार शायद बेवजह विवादों में पड़कर विरोधियों को कोई मौका नहीं देना चाहती है इसलिए फिलहाल अभी शांति छाई हुई है। लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई पूरी करने का दावा करने वाली पुष्पम की पार्टी का नाम ‘प्लूरल्स’ है ये अख़बार में छपे विज्ञापन या सोशल साइट से जानकारी मिलती है। दरभंगा से स्कूलिंग करने के बाद प्रिया बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन, पटना के अलावा बिहार मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन, पटना में भी काम कर चुकी हैं। पटना के बाद ये लंदन अपनी बड़ी बहन के पास रहने चली गईं। बिहार की मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखने वाली प्रिया अपनी पार्टी ‘प्लूरल्स’ की सेवाओं के लिए बंगलौर की एक पोलिटिकल स्ट्रेटिजिक कंपनी की सेवाएं लेना आरंभ कर दी है।

इस कंपनी की मदद से यह दावा किया जा रहा है कि इनके लिए बिहार में सरकार बना लेना बहुत आसान है। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्तमान सरकार की छुट्टी कर देना इनके लिए बाएं हाथ का खेल होगा।8 मार्च के बाद से अभी तक भले-ही तथाकथित भावी मुख्यमंत्री के दर्शन बिहार की जनता नहीं कर पाई है लेकिन अपने सोशल साइट के द्वारा अपनी पार्टी के दो किरदारों का परिचय करवा दिया गया। पूर्व आई आर एस सरस्वती पद्मनाभन नेशनल स्पोक्सपर्सन और विवेक मेहता ग्लोबल स्पोक्सपर्सन। विवेक मेहता अपने को लंदन का ही रहने वाला बताते हैं। फिलहाल पुष्पम प्रिया चौधरी की तरह इनके बारे में जनता तभी जान पाएगी जब ये खुद मीडिया के सामने आएंगे। लेकिन पार्टी का ‘प्लूरल्स’ जैसे कठिन नाम रखने के पीछे का क्या निहितार्थ है और ये कठिन नाम जनता के गले से कैसे उतरेगा ये जानने की उत्सुकता बिहार में बनी रहेगी?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here