भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की लगभग 80% आबादी कृषि पर निर्भर है।चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से, अगर किसी भी व्यक्ति के घर में कोई किसान नहीं है तो भी वह व्यक्ति किसान से सीधा जुड़ा हुआ है। क्योंकि वह जब खाना खाता है वह कहीं ना कहीं किसी न किसी के खेत से उत्पन्न होकर उसके घर तक पहुंचता है। किसानों ने भारत को बहुत कुछ दिया है और वास्तव में आज हमारे देश में उन्नति करने वाले जितने भी साधन है उन्नति के मार्ग पर ले जाने वाले जितने भी लोग हैं,वे कहीं ना कहीं किसानों की संतान है या किसानों के परिवारों से आते हैं।
“लेकिन हमारे देश की दुविधा यह है कि हमारे देश का जवान सरहद पर हमारे देश की सुरक्षा के लिए शहीद हो जाता है और वही हमारे देश का किसान फसल बर्बाद होने से आत्महत्या कर लेता है…. वर्तमान में हमारे देश में किसानों का आंदोलन चल रहा है। बहुत सारे लोग सरकारों पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।बहुत सारे नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों का अपमान कर रही है। किसानों के साथ टाइम पास कर रही है।ये लोग किसानों को बर्बाद करना चाहते हैं और पूरे देश की कृषि को व्यापारियों के हाथ में देना चाहते हैं।”
वहीं दूसरी तरफ भारत की सरकार का कहना है कि हम भारत के किसान का सम्मान करते हैं। हम लोग कहीं ना कहीं किसानों के परिवार से आते हैं और ना ही हम एमएसपी खत्म करना चाहते हैं और ना ही हम मंडियों को खत्म करेंगे। यह सारा भ्रम विरोधी पार्टियों के द्वारा फैलाया जा रहा है क्योंकि उनके पास अब चुनाव में साथ के लिए कोई मुद्दा नहीं है!
लेकिन वास्तविकता क्या है?क्या भारत का किसान वास्तव में परेशान है या फिर कुछ पार्टियों की बातों में आकर वह मार्ग से विचलित हो गया है?आइए सबसे पहले हम भारत के किसानों की कुछ समस्याओं की बात करते हैं, जिनके कारण लगातार किसान मुख्यधारा में आने से बचता रहा है।
फसल का उचित मूल्य मिलना
भारत के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है कि उसे उसकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता। वह पूरे साल उस फसल को उगाता है। उसके बीज़ में, उसके रखरखाव में तथा उसको बाजार तक लाने में अपना धन खर्च करता है, लेकिन बदले में उसे इतना धन नहीं मिल पाता कि वह उस धन से कोई लाभ कमा सके। इसीलिए वह साल दर साल अपनी जमीन पर लोन लेता है और जमीन से अच्छी फसल के मूल्य न मिलने के कारण वह आत्महत्या कर लेता है। उसके बाद पूरे देश में आवाजें उठती हैं कि-
“आत्महत्या की चिता पर देखकर किसान को,”
नींद कैसे आ रही है देश के किसान को!”
लेकिन वास्तव में इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए हमारे नेताओं ने ऐसे प्रयास किए जो कभी सफल ही नहीं हुए।
आर्थिक अव्यवस्था
भारत में ऐसे किसानों की बहुत अधिक संख्या है जिनके पास अपनी जमीन भी नहीं है। जमीन ना होने के कारण वे लोग दूसरे की जमीन पर कृषि करते हैं और मजदूरी लायक पैसा कमा पाते हैं। उनकी पूरी जिंदगी उस मजदूरी करते-करते बीत जाती है लेकिन उन्हें कोई बड़ा लाभ नहीं हो पाता। इसी कारण उनकी आने वाली पीढ़ियां इस कार्य से वंचित हो जाती हैं,या फिर वे इस कार्य में आना ही नहीं चाहती।
भारत में भू-जोतों का आकार छोटा और आर्थिक दृष्टि से विकासक्षम नहीं है। इससे इतनी आय प्राप्त नहीं हो पाती कि किसान कृषि में भावी निवेश कर सके। जोतों का छोटा आकार एवं विखंडित स्वरुप होने के कारण इनमें आधुनिक कृषि मशीनों का इस्तेमाल कठिन हो जाता है।
पीएम मोदी की सरकार के द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदम
जब से भारत में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बनी है। तब से लगातार भारत के किसानों को लाभ देने के लिए बहुत सारी नई तथा बहुत सारी पुरानी योजनाओं में कुछ बदलाव करके किसानों को उनका लाभ दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना 24 फरवरी 2019 को प्रारंभ की गई थी और इस योजना के तहत भारत के प्रत्येक राज्य के किसान को सालाना 6000रूपये दिए जाते हैं। हालांकि बहुत सारे प्रदेशों ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण इस योजना को अपने प्रदेश में लागू नहीं होने दिया,जिसका खेद आज तक भारत के प्रधानमंत्री को है।इस योजना के अंतर्गत देश के 14.5 करोड़ किसानों को लाभार्थी बनाया जाएगा.. इस योजना के लिए सरकार ने 87000 करोड रुपए का बजट तैयार किया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
भारतीय बजट में प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के लिए 20000 करोड रुपए का बजट तय किया गया था। कोरोना के कारण इसे तत्काल लागू किया गया। समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए 12000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।इसके अलावा 9,000 करोड़ रुपये मछली पालन से जुड़े बुनियादी ढांचा को बेहतर बनाने पर खर्च किया जाएगा। इस योजना का उपयोग मछुआरों को ट्रेंड करने तथा उन्हें लाभ देने में किया जाता है। एक रिसर्च के अनुसारअगले 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मत्स्य उत्पादन होगा।
किसान जहां चाहें वहां बेच सकेंगे फसल
किसानों को पुरानी बेड़ियों से मुक्त करने के लिए भारत की सरकार ने कुछ महीने पहले तीन अधिनियम लोकसभा और राज्यसभा से पास कराए थे। जिन्हें लेकर लगातार भारत के अलग-अलग राज्यों में आंदोलन हो रहा है और 8 दिसंबर को भारत बंद भी रखा गया है। लेकिन किसानों को लगता है कि इन कानूनों के तहत हमें बर्बाद करने की योजना बनाई जा रही है। वहीं सरकार का कहना है कि हम इस योजना के द्वारा किसानों को आजाद करना चाहते हैं कि वे जहां जाएं अपनी फसल बेचने।पीएम मोदी ने कई बार ये बात कही है कि इससे किसी किसान को कोई नुकसान नहीं है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
हर साल प्राकृतिक आपदा के चलते भारत में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश से उनकी फसल खराब हो जाती है। उन्हें ऐसे संकट से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) शुरू की है। इसे 13 जनवरी 2016 को शुरू किया गया था।ऐसी बहुत सारी योजनाएं हैं जिनकी मदद से लगातार वर्तमान सरकार किसानों की व्यवस्था को सुधारने का प्रयास कर रही है।अब देखना यह है क्या वास्तव में भारत सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास जमीन तक पहुंच रहे हैं या फिर केवल हवाई वादे हैं?