प्रधानमंत्री मोदी ने आज वर्चुअल माध्यम से भगवत गीता के किंडल वर्जन को लांच किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भगवत गीता के बारे में कई प्रमुख बातें कहीं। पीएम ने कहा गीता हमें सोचने के लिए मजबूर कर दी है। गीता हमें सवाल करने के लिए प्रेरित करती है। यह डिबेट को प्रोत्साहित करती है, जिससे हमारा दिमाग खुला रहता है। गीता से प्रेरित कोई भी व्यक्ति हमेशा स्वभाव से दयालु और लोकतांत्रिक होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में गीता का वह लोग भी पड़ा, जो निम्न है :
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
हिंदी अनुवाद: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह (श्रेष्ठ पुरुष) जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।
यह आयोजन स्वामी चिद्भवानंदजी की भगवद गीता की 5 लाख से अधिक प्रतियों को बिकने के बाद आयोजित हुआ है।स्वामी चिद्भवानंदजी तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के थिरुप्पराईथुराई में श्री रामकृष्ण तपोवनम आश्रम के संस्थापक हैं। उन्होंने 186 पुस्तकों और साहित्यिक रचना की सभी विधाओं को लिखा है। गीता पर उनका विद्वतापूर्ण कार्य इस विषय पर सबसे व्यापक पुस्तकों में से एक है। गीता का उनका तमिल वर्जन 1951 में छपा था। फिर इसे 1965 में अंग्रेजी में भी छापा गया। फिर गीता का तेलगु, उड़िया, जर्मन, जापानी में भी अनुवाद हुआ