‘पंचायत’ वेब सीरीज़ रिव्यू: गाँव की छोटी-मोटी आम समस्याओं को हंसी-मजाक के साथ अवगत कराती ये सीरीज़ आपको कुछ-कुछ इमोशनल भी कर देगी

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देश में पिछले कुछ सालों से सरकार शहरों से लकर गाँव तक हर तबके में महिलाओं की भागीदारी पर जोर दे रही है। शहरों में तो महिलाएं राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय है, लेकिन गाँव और कस्बों में आज भी औरते पंचायत और ग्राम सभा से दूर ही रहना पसंद करती है। जिन निर्वाचित क्षेत्रों में महिलाएं चुनाव जीतकर प्रधान बन भी जाती है, वहां मुख्य प्रधान की बजाय प्रधान पति ही सारा कार्यभार संभालते है। इसी मुख्य मुद्दे पर आधारित है अमेज़ॉन प्राइम वीडियो की नई वेब सीरीज़ ‘पंचायत’। लॉकडाउन के दौरान कुछ मनोरंजक सामग्री की तलाश कर रहे है तो समझिए आपकी तलाश पूरी हो गई है। सीरीज़ देखने से पहले ये रिव्यू अंत तक अवश्य पढ़िए।

कहानी

अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) नाम का लड़का इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के अंतर्गत आने वाले फुलेरा गाँव में बतौर पंचायत सचिव नियुक्त होता है। इस गाँव की प्रधान मंजू देवी (नीना गुप्ता) होती है, लेकिन पूरे गाँव में सभी लोग मंजू देवी के पति बृजभूषण दूबे (रघूवीर यादव) को ही प्रधान मानते है। दूबे जी की पूरी गाँव में एक इज्जत होती है और अपने गाँव के लोगों की समस्या को हल करने के लिए वह पूरी कोशिश करते है।

वहीं दूसरी ओर अभिषेक पंचायत सचिव की नौकरी कर तो रहा होता है, लेकिन उसे ना तो यह नौकरी पसंद आती और ना ही फुलेरा गाँव। अपनी नौकरी के साथ साथ वह एमबीए में दाखिले के लिए कैट की परीक्षा की तैयारी भी करता है। नो घंटे की नौकरी, 4-5 घंटे की पढ़ाई और एक बोरियत जिन्दगी से वह ऊब जाता है। लेकिन उसका दोस्त समय-समय पर उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करता है।

सीरीज़ की खासियत

इस वेब सीरीज़ में 25-30 मिनट के कुल आठ एपिसोड है। सीरीज़ की पूरी कहानी चंद लोगों के ईर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है। हर एपिसोड में आपको गाँव के एक नए पहलू से रुबरू कराया जाता है। गाँव में बिजली के खंबे लगाने की समस्या हो या फिर एक भूतिया पेड़ की कहानी, सीरीज़ में गाँव की ऐसी छोटी-छोटी समस्या बहुत बेहतरीन तरीके से दिखाई जाती है। आज भी गाँव में जब किसी के यहाँ विवाह समारोह होता है तो पूरे गाँव के लोग अपने घर की शादी समझ किस तरह से उसकी मदद करते है इस पर भी सीरीज़ में अच्छा प्रकाश डाला गया है।

कमजोर कड़ी

दीपक कुमार मिश्रा के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज़ का निर्माण टीवीएफ ने किया है। सीरीज़ को ऊपर तौर पर देखने में कोई कमी नज़र नहीं आती। दीपका कुमार ने हर एपिसोड में हंसी के लिए कुछ पंच के साथ-साथ इमोशनल टच देने की कोशिश की है, जो यकीनन दर्शकों के दिलों को छू भी रही है। इन सबके बावजूद गाँव की बुनियादी समस्याओं को दिखाने में वे नाकाम रहे है। सीरीज़ की कहानी के हिसाब से पंचायत टाइटल भी ज्यादा सटीक नहीं है, क्योंकि पूरी सीरीज़ में केवल एक-दो सीन में ही पंचायत बिठाई गई है। इन सबके अलावा सीरीज़ में एक एक्ट्रेस की कमी भी साफ तौर पर देखी जा सकती है। निर्देशक को लव अफेयर और रोमांस की ओर भी थोड़ा ध्यान देना चाहिए था।

एक्टिंग

सीरीज़ में सभी कलाकारों ने बेहतरीन एक्टिंग की है। टीवीएफ पिक्चर्स के जाने माने चेहरे जितेंद्र कुमार ने हाल ही में आई शुभ मंगल ज्यादा सावधान में भी बेहतरीन एक्टिंग की थी। इससे पहले भी वह कई वेब सीरीज़ में नज़र आ चुके है। नीना गुप्ता ने एक बार फिर काबिले तारीफ काम किया है। आज के समय को उनका दौर कहना गलत नहीं होगा। प्रधान के किरदार में रघुवीर यादव से तो जैसे आपको मोहब्बत ही हो जाएगी। इसके अलावा विकास के किरदार में चंदन रॉय और उप प्रधान प्रहलाद के किरदार में फैसल मलिक ने भी अपनी एक्टिंग से रंग जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

क्यों देखें सीरीज़

यदि आप काफी समय से सस्पेंस, एक्शन और थ्रील जैसी वेब सीरीज़ देख रहे है तो बीच में एक ब्रेक के तौर पर ये सीरीज़ देख सकते है। यह पूरी वेब सीरीज़ आप एक दिन में आसानी से देख लेंगे। यह सीरीज़ देखने के बाद यदि आप अगली बार किसी गाँव का रूख करें और उस गाँव की खूबसूरती को आँखों में कैद करना चाहते है तो वहां की पानी की टंकी पर चढ़कर एक बार गाँव को अवश्य देख लें। हल्की-फुल्की कम बजट में बनी होने के बावजूद यह सीरीज़ आपको निराश नहीं करेगी। सीरीज़ का अंत एक छोटे से सस्पेंस के साथ होता है और अगले सीजन में यकीनन आपको अभिषेक और रिंकी की लव स्टोरी देखने को मिलेगी।

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