मुख्य कलाकार: जॉन अब्राहम, अनिल कपूर, अरशद वारसी, पुलकित सम्राट, सौरभ शुक्ला, कृति खरबंदा, उर्वशी रौतेला और इलियाना डीक्रूज़
निर्देशक: अनीस बज्मी
एक कॉमेडी फिल्म बनाना अन्य किसी भी जॉनर के मुकाबले सबसे मुश्किल काम होता है, क्योंकि इन फिल्मों में सभी स्टार्स के बीच तालमेल बनाना और अच्छी कॉमेडी के साथ स्टोरी आगे बढ़ाना आसान नहीं होता। इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फिल्म ‘पागलपंती’ ने दर्शकों की उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। सिनेमाघर जाकर दर्शक यह सोचने पर मजबूर हो रहे हैं कि आखिर क्या सोचकर उन्होंने यह फिल्म देखने का प्लान बनाया। निर्देशक ने फिल्म में एक्शन, कॉमेडी, ग्लैमर, हॉरर और देशभक्ति समेत हर चीज को ठूंसने की कोशिश की है। फिल्म देखकर ऐसा लग रहा है मानो स्क्रिप्ट लिखने से पहले ही फिल्म की स्टार कास्ट तय कर ली गई हो और सभी स्टार्स को मन मुताबिक कुछ भी करने की खुली छूट दे दी गई हो।
कहानी
फिल्म की कहानी की बात ना ही करें तो ज्यादा बेहतर होगा। फिल्म में आपको ढूंढने से भी स्टोरी नहीं मिलेगी। शुरू से आखिर तक आप यही सोचते रह जाएंगे, कि वास्तव में निर्देशक क्या दिखाने की कोशिश कर रहा है। खैर फिल्म की कहानी तीन दोस्तों और जीजा-साले की गैंगस्टर जोड़ी के इर्द-गिर्द सिमटती नज़र आती है। राज किशोर (जॉन अब्राहम), जंकी (अरशद वारसी) और चंदू (पुलकित सम्राट) जहाँ भी जाते हैं और जिससे मिलते हैं, उसका बुरा समय शुरु हो जाता है। कई लोगों की नैया डुबोने के बाद इन तीनों की मुलाकात गैंगस्टर राजा (सौरभ शुक्ला) और वाईफाई भाई (अनिल कपूर) से होती है। नीरज मोदी (जो नीरव मोदी के कैरेक्टर की याद दिलाता है) राजा के पैसे लेकर फरार हो जाता है और अब इन तीनों को उससे पैसे लाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। अब ये तीनों मिलकर क्या-क्या नए कांड करते हैं और गैंगस्टर को किस परेशानी में डालते हैं, ये जानने के लिए एक बार फिल्म देखी जा सकती है।
निर्देशन
निर्देशक अनीस बज्मी ने इससे पहले नो एंट्री, वेलकम, सिंह इज किंग और रेडी जैसी कई कॉमेडी फिल्में डायरेक्ट की हैं, जो ब्लॉकबस्टर हिट भी साबित हुई हैं। इन फिल्मों के हिट होने के बाद अनीश को लगा कि अब वह जो कुछ भी दिखाएंगे, दर्शक उसे पसंद कर ही लेंगे। लेकिन आजकल दर्शक केवल स्टार के नाम पर फिल्म नहीं देखना चाहते हैं। उन्हें कॉमेडी फिल्म में भी अच्छी स्टोरी लाइन चाहिए होती है। इस फिल्म में अनीस बज्मी का स्क्रीन प्ले काफी कमजोर रहा है। फिल्म में घिसे-पिटे डायलोग्स की भरमार है, जिनपर अगर आप चाहे तो भी आपको हंसी नहीं आती। इसके अलावा फिल्म की स्क्रिप्ट इसकी सबसे कमजोर कड़ी है। हालांकि लॉकेशन और ड्रेस की बात करें तो उसमें अनीस को कुछ मार्क्स दिए जा सकते हैं।
एक्टिंग
फिल्म में जान डालने के लिए सभी कलाकारों ने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की है, इसके बावजूद वे आपस में तालमेल बिठाने में कामयाब नहीं हो पाए। मल्टी स्टारर फिल्म में अक्सर ये दिक्कत आती है और ऐसा लगता है कि फिल्म में हर किरदार केवल अपने डायलोग का इंतजार कर रहा है। सौरभ शुक्ला को निर्देशक खतरनाक दिखाना चाहते थे, लेकिन वह उसकी जगह फनी और मजेदार लग रहे हैं। अनिल कपूर ने खुद को मजनू भाई के गेटअप में ढालने की कोशिश की है। अरशद वारसी की कॉमेडी टाइमिंग परफेक्ट रही है। जॉन अब्राहम कॉमेडी करने में एक बार फिर नाकाम रहे हैं। एक्ट्रेसेस को केवल ग्लैमर और हॉटनेस बढ़ाने के लिए स्क्रीन पर जगह दी गई है।
क्या है फिल्म की खासियत
फिल्म में ऐसी कोई खासियत नहीं है जिसके लिए यह फिल्म देखने सिनेमाघर का रुख किया जाए। इस तरह की आउटडेटेड फिल्में अब दर्शकों को बोर करती है। अगर आपके पास कोई और काम नहीं है और टाइमपास करना चाहते हैं तो यह फिल्म देखने जा सकते हैं। फिल्म में ऐसा कोई सीन या डायलोग नहीं है जो आप अपनी फैमिली के साथ ना देख पाए। ऐसी साफ-सुथरी कॉमेडी वाली फिल्में भी आजकल कम ही देखने को मिलती हैं। यह फिल्म आप अपनी फैमिली के साथ देखने जा सकते हैं।
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