गणतंत्र दिवस पर लोकतंत्र का हुआ अपमान, राष्ट्रध्वज के स्थान पर फहराया गया धर्म विशेष का झंडा

आज भारत के राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर जो माहौल दिल्ली में देखा गया है वैसा माहौल कभी भी नहीं देखा गया।लाल किले के प्राचीर पर धर्म विशेष का झंडा फहराना यह दिखाता है कि किस तरह से देश के संविधान का अपमान राजधानी में किया गया है।

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आज 26 जनवरी का जश्न पूरा देश मना रहा था। राष्ट्रीय स्तर की परेड समाप्त भी नहीं हुई थी लेकिन उससे पहले ही एक ऐसा समाचार आ गया जिसकी आशंका कई दिनों से लगाई जा रही थी। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली पुलिस ने अपने पूरे इलाके में हाई अलर्ट जारी किया था और यह बात भी कही गई थी कि कहीं ना कहीं किसानों के आंदोलन का फायदा पाकिस्तान तथा कुछ उग्रवादी संगठन उठाना चाहते हैं। 26 जनवरी को यही हश्र देखने को मिला। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में किसानों ने पुलिस पर पथराव किया। तलवारे लहराई, पुलिस वालों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। लेकिन इन सभी का मन इतने से ही नहीं भरा तो यह सभी लोग भारत की अस्मिता लाल किले पर पहुंच गए। लाल किले के द्वार को तोड़ते हुए ये लोग लाल किले में दाखिल हुए। और उसके बाद एक ऐसा कार्यक्रम लाल किले के प्राचीर से देखा गया जो भारत के लोकतंत्र का सबसे काला दिन माना जा सकता है।

लाल किले पर फहराया गया धर्म विशेष का झंडा

हम आज के दिन को लोकतंत्र के लिए काला दिन इसलिए कहेंगे क्योंकि आज भारत के राष्ट्रीय पर्व पर भारत की राष्ट्रीय अस्मिता लाल किले पर धर्म विशेष के झंडे को फहराया गया है। कानून व्यवस्था को तार-तार करते हुए कुछ लोग लाल किले पर चढ़े और जिस स्थान पर पिछले 75 वर्षों से भारत की आन बान शान तिरंगा फहराया जाता है वहां पर उन लोगों ने धर्म विशेष का झंडा फैला दिया है। लोग इतने पर ही नहीं रुके लाल किले की प्राचीर पर अपने शस्त्रों का प्रदर्शन भी इन लोगों ने किया है।

कुछ समय पहले ही किसान नेताओं ने यह वादा किया था कि दिल्ली पुलिस ने हमे जो 37 शर्तें बताई गई हैं उन्हीं के अनुसार पूरी रैली निकाली जाएगी। लेकिन आज जो नजारा दिल्ली में देखा जा रहा है उस पर कोई भी किसान नेता जवाब ही नहीं दे पाएगा। किसानों की प्रतिनिधि बनने वाले राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि यह दिल्ली में क्या हो रहा है तो उनका कहना था कि किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं? कुछ पार्टी के लोग इस प्रदर्शन को हाईजैक करना चाहते हैं हमारे कोई भी लोग ऐसा कार्य नहीं कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ऑलराउंडर नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि दिल्ली में जो भी कुछ हो रहा है वह सही हो रहा है। एक पत्रकार ने योगेंद्र यादव से पूछा कि यह कैसी आज़ादी है यह कैसा आंदोलन है कि एक तरफ किसान है एक तरफ जवान है… योगेंद्र यादव का कहना था कि यह तो सही है ना… हम इतने दिनों से इंतजार कर रहे थे…. जब किसानों के प्रतिनिधि इस तरह के बयान देंगे तो आप समझ सकते हैं कि यह आंदोलन निश्चित रूप से किसानों का आंदोलन नहीं है अपितु यह केवल और केवल अपने स्वार्थ के लिए किया जा रहा आंदोलन है।

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