सब्जी का ठेला हटाने आये अधिकारियों की सब्जी बेचने वाली महिला ने की बोलती बंद

इंदौर की लड़की रईसा अंसारी पीएचडी करने के बावजूद भी सड़क पर सब्जी का ठेला लगाती हैं।

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कोरोना महामारी ने न जाने कितने लोगों की रोजी-रोटी छीनकर उन्हें बेरोजगारी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसे में कुछ लोगों ने दूसरों के आगे हाथ फैलाने से अच्छा सब्जी की रेड्डी लगाकर अपना गुजारा करना उचित समझा। हाल ही में एक ऐसा ही वाकया सामने आया है, जब नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती ठेला संचालकों को हटाये जाने पर एक महिला ने इसका विरोध किया। उसका विरोध करने का यह अंदाज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। महिला ने फर्राटेदार इंग्लिश बोलकर निगमकर्मियों की बोलती बंद कर दी।

दरअसल इंदौर में प्रशासन ने सब्जी ठेला संचालकों को एक जगह पर खड़े होकर धंधा करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। लेकिन बुधवार को जब निगम का अमला मालवा मिल स्थित सब्जी मंडी में कार्रवाई करने पहुंचा तो यहां एक महिला ने जबरदस्त विरोध किया। महिला के विरोध का यह तरीका सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। महिला ने फर्राटेदार इंग्लिश बोलकर निगमकर्मियों की बोलती बंद कर दी। इस महिला का नाम रईसा अंसारी है। रईसा, मालवा मिल के पास सब्जी का ठेला लगाती हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इन्होंने पीएचडी कर रखी है लेकिन बावजूद इसके वो सड़क पर सब्जी का ठेला लगाती हैं।

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रईसा ने कहा कि उसका परिवार करीब 60 वर्षों से यहां पर सब्जी का व्यवसाय करता है लेकिन अब नगर निगम के अधिकारी उसे यहां से हटाना चाहते हैं। अगर उसे यहां से हटा दिया गया तो उसके सामने परिवार को पालने का एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। रईसा ने गुस्सा होकर कहा कि उसको पीएचडी करने के बाद भी कहीं नौकरी नहीं मिल रही है। लिहाजा उसने तय किया है कि सब्जी बेचकर ही वो अपना घर चलाएगी। लेकिन कोरोना की आड़ में नगर निगम के अधिकारी उसे यह व्यवसाय भी नहीं करने दे रहे हैं।

रईसा के इस आक्रामक तेवर को देखते हुए नगर निगम के अधिकारियों को भी यहां से बेरंग ही लौटना पड़ा लेकिन रईसा जैसी महिला का इतनी पढ़ी-लिखी होने के बाद भी सब्जी बेचकर घर चलाना दूसरों के लिए एक बड़ा उदाहरण है। रईसा ने बताया, “हमारे परिवार में 23 से 27 सदस्य हैं। अब अपने परिवार को कैसे खिलाऊंगी? इस बाएं और दाएं सिस्टम की वजह से हम अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे हैं। यहां पर भीड़ नहीं, फिर भी कलेक्टर और निगम यहां खड़े होने की अनुमति नहीं देते। निगम ने यह कहते हुए भगा दिया कि यहां से चले जाओ।”

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