कोरोना वायरस का कहर दुनिया के साथ-साथ भारत में भी बढ़ता जा रहा है। देश में इस खतरनाक वायरस के अब तक कुल लगभग 19,984 मामले आ चुके हैं। वहीं पीएम मोदी के संदेश के बाद 3 मई तक लॉकडाउन जारी है। हालांकि कई जगहों पर 20 अप्रैल से कुछ छूट दी गई है लेकिन रेड अलर्ट जोन अभी भी पूरी तरह से लॉकडाउन हैं। इस लॉकडाउन में कई बार लोगों को एकदम से पैसे की जरूरत पड़ रही है लेकिन उनके अकाउंट में पैसे नहीं हैं। कोरोनाग्रस्त इकॉनमी में कई लोगों के खाते खाली हो गए हैं, सारी बचत हवा हो गई है। वहीं दूसरी ओर इन विषम परिस्तिथियों में दोस्त-रिश्तेदारों से भी मदद नहीं मिल रही है। अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है तो आप बैंक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का प्रयोग कर सकते हैं।
जानिए क्या है ये फैसिलिटी…
सरकारी और निजी बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देते हैं। ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट FD पर यह सुविधा देते हैं। कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसे एसेट के एवज में भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। इस फैसिलिटी के तहत बैंक से आप अपनी जरूरत का पैसा ले सकते हैं और बाद में यह पैसा चुका सकते हैं। कुछ कस्टमर्स को बैंक या NBFCs शुरू से ही ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी देते हैं, वहीं कुछ कस्टमर्स को इसके लिए अलग से मंजूरी लेनी होती है। इसके लिए लिखित में या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अप्लाई करना होता है।
कुछ बैंक इस सुविधा के लिए प्रोसेसिंग फीस भी वसूलते हैं।ओवरड्राफ्ट दो तरह के होते हैं। एक सिक्योर्ड, दूसरे अनसिक्योर्ड। सिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट वह है, जिसके लिए सिक्योरिटी के तौर पर कुछ गिरवी रखा जाता है। आप एफडी, शेयर्स, घर, सैलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड्स आदि जैसे चीजों पर ओवरड्राफ्ट हासिल कर सकते हैं। इसे आसान भाषा में एफडी या शेयर्स पर लोन लेना भी कहते हैं। ऐसा करने पर ये चीजें एक तरह से बैंक या NBFCs के पास गिरवी रहती हैं।अगर आपके पास कुछ भी सिक्योरिटी के तौर पर देने के लिए नहीं है तो भी आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ले सकते हैं। इसे अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट कहते हैं। उदाहरण के तौर पर क्रेडिट कार्ड से विदड्रॉल।इस बारे में बैंक का कहना है कि ग्राहकों की अकाउंट हिस्ट्री व अकाउंट वैल्यू के आधार पर ओवरड्राफ्ट दिया जाता है। साथ ही क्रेडिट व्यवहार कैसा है इन सब बातों को भी देखा जाता है