महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं की हत्या से हर कोई परिचित है। इस हत्याकांड के बाद बहुत सारे सवाल महाराष्ट्र पुलिस और महाराष्ट्र सरकार पर उठने लगे थे। यह घटना 16-17 अप्रैल को हुई थी लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। दो साथियों समेत उनके ड्राइवर की हत्या पालघर में कर दी गई थी। इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो या राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गई थी।
जिन पर सर्वोच्च अदालत में सुनवाई चल रही थी। इस मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र पुलिस ने भी सर्वोच्च अदालत में अपना जवाब दाखिल कराया। ADS महाराष्ट्र पुलिस ने पालघर मॉब लिंचिंग केस की जांच सीबीआई या एआईए सौंपने का विरोध किया। महाराष्ट्र पुलिस ने जांच की डिटेल भी सील बंद कर सर्वोच्च अदालत में दाखिल कर दी। महाराष्ट्र पुलिस ने यह बताया कि अभी जांच चल रही है और हम जांच की डिटेल को सार्वजनिक नहीं कर सकते।
लॉकडाउन के दौरान 16 -17 अप्रैल की रात को अपने गुरु के ब्रह्मलीन होने की खबर पर 2 साथी गुजरात जा रहे थे। तभी पालघर की एक हिंसक भीड़ ने उन दोनों बेगुनाह और निहत्थे साधुओं पर लगातार कई वार किए। जिससे उन दोनों की मौके पर ही मृत्यु हो गई। इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस के कई अफसरों का भी हाथ बताया गया जिसके कारण उनका तबादला कर दिया गया। इस मामले के बाद महाराष्ट्र सरकार और पुलिस प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। अब देखना यह होगा कि कब तक उन दोनों साधुओं और उनके ड्राइवर को न्याय मिल पाता है।