नई रक्षा खरीद प्रकिया -2020, लीज पर लिए जा सकेंगे लड़ाकू हेलीकॉप्टर – पनडुब्बी, मेक इन इंडिया को मिलेगी रफ्तार

रक्षा उत्पादों के निर्माण के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भरता हासिल कराने के लक्ष्य के लिए केंद्र नई रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 की घोषणा की गई है। इसके अनुसार अब हथियारों तथा अन्य साजो सामान को किराए पर लेने का विकल्प भी खोल दिया गया है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार को भारत को इन 5 सालों में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य दिया है। उनका मानना है कि आने वाले कुछ सालों में हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। इसी बीच सैनिकों के साजो सामान और हत्यारों के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 की घोषणा की गई है। इस खरीद प्रक्रिया में बड़े बदलाव भी किए गए हैं जिसके अनुसार अब हथियारों और सैन्य साजो सामान को लीज पर लेने का विकल्प खोला गया है। इस बदलाव के बाद अब लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट, एयरक्राफ्ट नौसैनिक जहाज से लेकर युद्धक साजो सामान को देश-विदेश कहीं में भी अनुबंध पर लिया जा सकेगा। बड़े रक्षा सौदों में ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट की बाध्यता को भी अब लगभग समाप्त कर दिया गया है।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद की सोमवार को बैठक हुई। जिसमें नई रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 पर मोहर लगाई गई। राजनाथ सिंह ने कहा कि नई रक्षा खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया के तहत घरेलु रक्षा कंपनियों को ताकत देने की पूरी व्यवस्था की गई है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप है। इसका लक्ष्य भारत को रक्षा क्षेत्र में एक वैश्विक मेन्यूफैक्चरिंग हब बनाना है। राजनाथ सिंह के अनुसार रक्षा क्षेत्र की हाल ही में घोषित प्रत्यक्ष विदेश निवेश की नई नीति के मद्देनजर डीएपी 2020 में घर वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था रखी गई है।

मेक वन और मृत्यु के अंतर्गत डिजाइन और विकास से जुड़ी कंपनियों को भारतीय नियंत्रित कंपनियों के लिए ही आरक्षित रखा गया है। रक्षा खरीद की नई प्रक्रिया 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगी सीमित संसाधनों की चुनौती के बीच देश की रक्षा और अन्य सैन्य साजो सामान की भारी व जरूरतों को देखते हुए अनुबंध के विकल्प को खरीद की प्रक्रिया के अहम हिस्से के रूप में शामिल किया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को समझौता किए बिना पूंजीगत खर्च में कमी लाने के मकसद से हथियारों और सैन्य सामान को लीज पर लिया जाएगा। आप अभी केवल रूसी नौसैनिक पनडुब्बी लीज पर लिए जाने के अपवाद के अलावा कुछ नहीं था।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस नए डीएपी के बाद युद्धक हेलीकॉप्टर और सैन्य उपकरण, हथियार, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, नौसैनिक जहाज, आदि किराए पर लिए जा सकेंगे। इसके अनुसार जरूरतों के हिसाब से इन्हें लीज पर लेने का विकल्प होगा। जबकि घरेलू छोटी कंपनियों के हितों का ख्याल रखते हुए 100 करोड़ तक की रक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए पूरी तरह आरक्षित रखा गया है। इससे कॉन्ट्रैक्ट प्रबंधन का एक नया रास्ता खुलेगा साथी मेंटेनेंस की चुनौती और खर्चे में भी कमी आएगी। क्योंकि किराए पर देने वाली कंपनी के देश ही अपने साजो सामान उपकरणों व हथियारों के रखरखाव का जिम्मा उठाएगा।

Image Source: Tweeted by @rajnathsingh

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