कभी पहनने के लिए नहीं थे जूते, आज भारतीय हॉकी का सितारा है छोटे से गांव का ये खिलाड़ी

भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी सुमित कुमार इन दिनों जमकर अभ्यास कर रहें हैं। अपनी मेहनत से इस मुकाम पर पहुंचे सुमित का सपना भारत को 2021 टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड दिलाना है।

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Image Source: Facebook Profile Pic

भारतीय हॉकी का इतिहास काफी सुनहरा रहा है। कई ऐसे खिलाड़ी आए जिन्होंने अपनी काबिलियत से इस खेल को जिंदा रखा। आज भी कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने कभी आर्थिक स्थिति को अपने आड़े नहीं आने दिया और भारतीय टीम में जगह बनाई। कुराड़ गांव के रहने वाले सुमित कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

छोटे से गांव कुराड़ के रहने वाले सुमित ने जब हॉकी खेलने का सपना देखा तो ना उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे थे और ना ही पहनने के लिए जूते। लेकिन देश को हॉकी की दुनिया में शिखर पर ले जाने का सपना कुछ ऐसा था कि उन्होंने गरीबी से हार नहीं मानी। 2004 और 2005 के दौरान सुमित जूते मिलने के लालच में हॉकी अकादमी के ग्राउंड तक चले जाया करते थे। जिसके बाद कोच ने उनकी लगन को पहचाना और सुमित को हॉकी के लिए तैयार करना शुरू किया।

सुमित के सामने कई तरह की चुनौती थी। सुमित के पिता प्रताप सिंह एक मजदूर हैं और मां कृष्णा गृहिणी हैं। सुमित का बड़ा भाई मुरथल विवि में डीसी रेट पर कार्यरत हैं, तो दूसरे बड़े भाई अमित गांव में ही बच्चों को हॉकी के गुर सिखाते हैं। लेकिन देखते ही देखते सुमित भारतीय हॉकी के उभरते सितारे बन गए।। हाल में सुमित बेंगलुरु में आयोजित हॉकी के राष्ट्रीय शिविर में अभ्यास में जुटे हैं।

सुमित वही खिलाड़ी हैं जिसके शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने 2016 में जूनियर हॉकी का वर्ल्ड कप जीता था। सुमित ने 2017 में सुल्तान अजलान शाह कप से राष्ट्रीय टीम के लिए पर्दापण किया था। इसके बाद अपने खेल के दम पर सुमित भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गए। सुमित इस समय जमकर अभ्यास कर रहे हैं। 2021 ओलंपिक में भारत को हॉकी में मेडल दिलाने की जिम्मेदारी सुमित के कंधों पर भी होगी।

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