पिछले कई दिनों से भारत के चीन और नेपाल के साथ विवाद जारी हैं। नेपाल की कानून मंत्री शिवमाया तुंबाहंफे रविवार को विवादित नक्शे को लेकर संशोधन विधेयक नेपाल की संसद में पेश किया। इससे पहले शनिवार को नेपाल सरकार द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक को मुख्य विपक्षी दल ने चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया था। इस विधेयक पर मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने चर्चा की इच्छा जताई थी। और इसका समर्थन करने की बात भी कही थी। नेपाल का यह नक्शा विवादित इसलिए है क्योंकि इस विवादित नक्शे में नेपाल ने भारत के कुछ हिस्सों को नेपाल की सीमाओं के भीतर दिखाया है।
नेपाल और भारत के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। बीते कुछ दिनों से नेपाल और भारत के संबंधों में दरार आ गई है। नेपाल से भारत का केवल राजनीति की ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध भी है। नेपाल ने अपने विवादित नक्शे में भारत के लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और काला पानी जैसे क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाया है।
18 मई को जारी किया था नेपाल ने विवादित नक्शा
भारत में लिपुलेख से धारचूला तक एक सड़क बनाई थी जिसका रक्षा मंत्री ने 8 मई को सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उद्घाटन किया था। इसके बाद में नेपाल ने इसका कड़ा विरोध किया और 18 मई को ही विवादित नक्शा पेश किया। जिसमें भारत के तीन विवादित क्षेत्रों को नेपाल ने अपने भीतर बताया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस मुद्दे को राष्ट्रवाद से जोड़ा तो विपक्षी पार्टियों ने भी इसे समर्थन करने की बात कही। इसे कानूनी रूप देने के लिए संविधान के अनुसार दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
भारत ने जताई थी नाराजगी
जब नेपाल ने अपना विवादित नक्शा जारी किया था तब भारत ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई थी। और कहा था कि कृत्रिम रूप से अपनी सीमाओं के विस्तार को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत की ओर से नेपाल को यह भी कहा गया कि इस तरह मानचित्र के द्वारा अनुचित दावा करना गलत है।
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