हिंदू धर्म में सात चिरंजीविओं का जिक्र होता है। यानी कि यह सभी लोग सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग में भी जीवित है और कलयुग में भी जीवित हैं। इन्हीं में से एक नाम है महाबली हनुमान का। महाबली हनुमान के दुनियाभर में करोड़ों भक्त हैं। करोड़ों लोगों के आराध्य भगवान बजरंगबली के बहुत सारे मंदिर भारत में हैं। लेकिन क्या किसी ऐसी जगह के बारे में जानते हैं जहां पर बजरंगबली हर 41 साल बाद आकर लोगों को दर्शन देते हैं? अगर नहीं तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है।
‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी खबर के मुताबिक श्रीलंका के जंगलों में कुछ ऐसे कबीलाई लोगों का पता चला है जिनसे मिलने हनुमान जी आते हैं। हर 41 साल बाद हनुमान जी इन लोगों से मिलने आते हैं। अखबार के मुताबिक इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्मिक संगठन ‘सेतु’ के हवाले से यह सनसनीखेज खुलासा किया है। इस अखबार के मुताबिक हनुमान जी इस साल हाल ही में इस जनजाति के लोगों से मिलने आए थे। इसके बाद वे 41 साल बाद यानी 2055 में आएंगे। सेतु के मुताबिक 27 मई 2014 हनुमान जी का इस जंगल में बिताया आखिरी दिन था। आपको बता दें इन लोगों को मातंग कहा जाता है।
जानकारी के मुताबिक कबीलाई लोगों को हर 41 साल बाद आकर भगवान हनुमान ज्ञान देते हैं। इनके कबीले के मुखिया ने हनुमान जी से पूरी बातचीत को एक पुस्तक में लिखा है। जिसका नाम लॉग बुक इसे हनु पुस्तिका भी कहते हैं। इस बुक का आधुनिक भाषाओं में ट्रांसलेशन भी किया जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं अनुसार मातंगों के हनुमानजी के साथ विचित्र संबंध हैं जिसके बारे में पिछले साल ही पता चला। फिर इनकी विचित्र गतिविधियों पर गौर किया गया, तो पता चला कि यह सिलसिला रामायण काल से ही चल रहा है।कहा जाता है कि हनुमानजी ने कुछ दिन श्रीलंका के जंगलों में गुजारे जहां वे प्रभु श्रीराम का ध्यान किया करते थे। उस दौरान पिदुरु पर्वत में रहने वाले कुछ मातंग आदिवासियों ने उनकी खूब सेवा की। उनकी सेवा से प्रसंन्न होकर हनुमानजी ने उनको वचन दिया कि प्रत्येक 41 साल बाद में तुमसे मिलने आऊंगा। यही कारण है कि हनुमानजी आज भी इस वचन का पालन करते हैं।
कहा जाता है कि हनुमान जी ने इन लोगों को एक मंत्र दिया था और कहा था कि जब तुम इस मंत्र का जाप करोगे तो मैं प्रकट हो जाऊंगा। मातंगों अनुसार हनुमानजी को देखने के लिए आत्मा का शुद्ध होना जरूरी है। निर्मल चित्त के लोग ही उनको देख सकते हैं। मंत्र जप का असर तभी होता है जबकि भक्त में हनुमानजी के प्रति दृढ़ श्रद्धा हो और उसका हनुमानजी से आत्मिक संबंध हो। सेतु का दावा है कि जिस जगह पर यह मंत्र जपा जाता है उस जगह के 980 मीटर के दायरे में कोई भी ऐसा मनुष्य उपस्थित न हो जो आत्मिक रूप से हनुमानजी से जुड़ा न हो।