जानिए जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद कितने कश्मीरी पंडितों को मिली उनकी जमीन, केंद्र सरकार ने दी जानकारी

केंद्र सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि अब तक कुल 9 कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में उनकी प्रॉप्रटी वापस दिलाई गई है। यह कश्मीरी पंडित उस प्रॉपर्टी के असली मालिक हैं जो कभी हिंसा के बाद वहां से पलायन कर गये थे। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के द्वारा राज्यसभा में दी गई है।

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अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर का माहौल पूरी तरह बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कितने कश्मीरी पंडितों को उनकी जमीन उनके मकान वापस मिले हैं। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी लगातार कश्मीरी पंडितों के मुद्दों को उठाती रही है ऐसे में जब वह केंद्र सरकार में है तो पार्टी का दायित्व बनता है कि जम्मू कश्मीर से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों को  सम्मान सहित जम्मू-कश्मीर में बसाया जाए।

राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार उन सभी कश्मीरी हिंदू को वापस कश्मीर में बसाने के प्रयास में है जो वहां आतंकी हिंसा के बाद कश्मीर छोड़ कर पलायन कर गये थे। सरकार इन प्रवासी कश्मीरी हिंदुओं को उनकी प्रॉपर्टी भी वापस करवा रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने बताया कि Preservation, Protection and Restraint on Distress Sales Act, 1997 के तहत सभी जिलों के प्रवासी कश्मीरियों की प्रॉपर्टी के कानूनी कस्टोडियन संबंधित जिलों के जिला मजिस्ट्रेट हैं।

सरकार ने बताया है कि अगर इस प्रॉपर्टी पर कोई गैर कानूनी तरीके से अतिक्रमण करता है तो डीएम इस पर कानूनी कार्रवाई करते हैं। अब अपनी जमीन वापस पाने के लिए कश्मीरी पंडित डीएम से भी संपर्क कर सकते हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक 9 कश्मीरी पंडितों को उनकी प्रॉपर्टी कश्मीर में वापस मिल चुकी है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारियां दी हैं।

सरकार ने बताया कि जो जानकारियां जम्मू और कश्मीर सरकार की तरफ से दी गई हैं उसके मुताबिक आर्टिकल 370 हटने के बाद से अब तक कुल 520 प्रवासी कश्मीर लौटे हैं ताकि को प्रधानमंत्री विकास पैकेज-2015 के तहत वहां नौकरी हासिल कर सकें। आपको बता दें कि 1990 में अलगाववादी ताकतों के कारण जम्मू-कश्मीर लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरे राज्यों में शरण लेनी पड़ी थी।

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