जानिए उस राजा के बारे में जिसकी थीं 88 संतानें और 10 वैध रानियाँ

पटियाला रियासत के राजा भूपेंद्र सिंह अपने शौक और अपने परिवार के कारण दुनिया भर में जाने जाते थे। खबरों के अनुसार यह बताया जाता है कि उनकी 88 बच्चे और 10 पत्नियां थी। इसके अलावा उन्हें क्रिकेट खेलने महंगी गाड़ियां रखने तथा महंगे महंगे आभूषण पहनने का शौक था।

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भारत देश में आपको एक से बढ़कर एक कहानी सुनने को मिलेगी… आपको भारत में एक से बढ़कर एक व्यक्ति देखने को मिलेगा जो अपने अलग अंदाज के कारण देश में जाना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे व्यक्ति के बारे में सुना है जो बहुत सारी पत्नियों का पति हो और बहुत सारे बच्चों का पिता हो। आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे राजा के बारे में जिसकी 10 वैध रानियां थी और 88 संताने थी। उनके चर्चे अपने परिवार और अपने शौक के कारण देश और दुनिया में थे। साल 1929 में महाराजा ने कीमती नग, हीरों और आभूषणों से भरा संदूक पेरिस के जौहरी को भेजा। 3 सालों तक उस कारीगर ने उस पर कारीगरी की और उसके बाद एक ऐसा हार तैयार किया गया जो काफी सुर्खियों में रहा!..यह हार उस समय के सबसे महंगे आभूषणों में से एक था …

जब हमारा देश अंग्रेजों देश गुलाम था, उस समय भारत में बहुत सारी रियासतें होती थी। पटियाला राजघराना की गिनती धनी रियासतों में होती थी। यहां के महाराजा भूपिंदर सिंह देश के ऐेसे पहले शख्स थे, जिनके पास अपना प्राइवेट प्लेन था। महाराजा भूपिंदर सिंह की लाइफस्टाइल देखकर अंग्रेज भी खौफ खाते थे। वो जब भी विदेश जाते थे, पूरा का पूरा होटल ही किराया पर ले लेते थे। महाराजा भूपिंदर सिंह के पास 44 रोल्स रॉयस कार थीं, जिनमें से 20 रोल्स रॉयस का काफिला रोजमर्रा में सिर्फ राज्य के दौरे के लिए इस्तेमाल होता था। साल 1935 में बर्लिन के दौरे पर उनकी मुलाकात हिटलर से हुई। कहा जाता है कि महाराजा भूपिंदर सिंह से हिटलर इतने प्रभावित हो गए कि अपनी मेबैक कार राजा को तोहफे में दे दी। हिटलर और महाराजा के बीच दोस्ती काफी लंबे समय तक रही।

दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब “महाराजा” में महाराजा भूपिंदर सिंह के बारे में विस्तार से लिखा है। महाराजा भूपिंदर सिंह की 10 रानियां और 88 वैध संतानें थीं। महाराजा भूपेंद्र सिंह एक ऐसे राजा थे जिन्हें क्रिकेट खेलने का भी शौक था। इसीलिए वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने। 40 के दशक में जब भारतीय क्रिकेट टीम कभी भी विदेश जाती थी तो उसका पूरा खर्चा महाराजा द्वारा उठाया जाता था।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को खड़ा करने में महाराजा ने काफी पैसे खर्च किए।

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