आप सभी जानते हैं कि प्रकृति के पास कुछ ऐसी संपदा है जिनका निर्माण वैज्ञानिक भी आज तक विज्ञान का प्रयोग करके नहीं कर पाए। इसी प्रकार की संरचना है हिमालय की चोटियों पर एक विशेष प्रकार का फूल पाया जाता है जिसका नाम है ब्रह्म कमल। ब्रह्म कमल साल में एक बार खिलता है। इस फूल के खिलने का उचित समय अगस्त में होता है। हालांकि यह फूल बेहद कम संख्या में खिलते हैं लेकिन इस बार यह बहुत अधिक संख्या में खिले हैं जिससे लोगों को आश्चर्य हो रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि कब टूरिस्ट पहुंचने के कारण और प्रदूषण कम होने के कारण यह फूल अधिक संख्या में खेले हैं क्योंकि पहले यहां पर आने वाले पर्यटक इन फूलों को परिपक्व होने से पहले ही तोड़ दिया करते थे जिससे अधिक फूल नहीं दिखाई देते थे। इस बार यह फूल हजारों की संख्या में दिखाई दे रहे हैं। और यह बताया जा रहा है कि आने वाले समय में इस फूल की पैदावार और ज्यादा हो सकती है।
यह फूल बेहद ही खूबसूरत होता है और इसे दिव्य फूल भी कहा जाता है। इस फूल का वैज्ञानिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है। ब्रह्म कमल को पूरी तरह से खिलने में 2 घंटे लगते हैं। यह फूल के में उत्तराखंड में हिमालय की चोटियों पर पाया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार इस पोस्ट को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ब्रह्म कमल फूल अगस्त के महीने में चलता है सितंबर अक्टूबर में इसके फल बनते हैं और उसका जीवन केवल 5 से 6 महीने होता है। इस पुष्प को नंदा अष्टमी पर तोड़ा जाता है और ब्रह्म कमल को मां नंदा का पुष्प माना जाता है। ब्रह्म कमल का औषधि उपयोग जले कटे में सर्दी, जुकाम तथा हड्डी के दर्द में किया जाता है। कई बार इसका उपयोग कैंसर की दवा में भी हुआ है। इससे निकलने वाले जल को पीने से थकावट दूर होती है और पुरानी खांसी भी काबू में आ जाती है। हिमालय के आसपास रहने वाले लोग इन पुष्पों को तोड़ कर अपने दरवाजे पर टांग दिया करते हैं जिससे उनके घर से व्याधियाँ दूर रहती हैं।