झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इस समय बहुत ज्यादा सुर्खियों में हैं। सुर्खियों में रहने का कारण है, कि उन्होंने 55 साल की उम्र में इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया है। इसका कारण उन्होंने बताया कि जब वह विद्यार्थी जीवन में थे तब उनकी गरीबी और बाद में झारखंड आंदोलन में जुड़ने के कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी लेकिन वह अपनी पढ़ाई को शुरू करने के लिए काफी दिनों से उत्साहित थे।
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया, “परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पांच भाई-बहनों वाले परिवार में सबको शिक्षा दे पाना मेरे पिताजी के लिए संभव नहीं था। प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई तो शुरू की लेकिन मैट्रिक पास करने से पहले ही रुक गया। तब तक झारखंड आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी और मैं झारखंड आंदोलन में शामिल हो गया। एक अलग राज्य की लड़ाई लड़ने के कारण मैंने ऐसा जीवन जिया, जिसमें मैंने रातों में समय निकालकर पढ़ाई भी शुरू की। 1955 में मैंने मैट्रिक पास कर लिया और उसके बाद मेरी पढ़ाई रुक गई।
लेकिन एक 55 साल के शिक्षा मंत्री के इंटरमीडिएट में एडमिशन लेने का विषय है। लोग दो पक्षों के अनुसार समझ रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि एक मैट्रिक पास व्यक्ति के हाथों में पूरे प्रदेश की शिक्षा का भार होना बहुत ही गलत है। जब किसी व्यक्ति ने शिक्षा ग्रहण ही नहीं की है तो उस व्यक्ति को शिक्षा की जानकारी कैसे होगी? तो वहीं दूसरे पक्ष के जानकारों का कहना है कि शिक्षा मंत्री का यह निर्णय बहुत ही स्वागत योग्य है।
उनका कहना है कि बहुत सारे पत्रकार शिक्षा मंत्री का मजाक उड़ा रहे हैं लेकिन वे कभी भी सचिन तेंदुलकर या महेंद्र सिंह धोनी की शिक्षा की बात नहीं करते क्योंकि सचिन और धोनी ने अपने अपने क्षेत्र में अपने आप को सिद्ध किया है। ठीक इसी प्रकार झारखंड के शिक्षा मंत्री ने स्वयं को राजनीति में सिद्ध कर लिया है। पढ़ाई उनकी आवश्यकता है इसीलिए वे इस उम्र में शिक्षा को ग्रहण करना चाहते हैं।