मुख्य कलाकार: विद्युत जामवाल, शिवालिका ओबेरॉय, अन्नू कपूर, शिव पंडित
निर्देशक: फारुख कबीर
संगीतकार: मिथुन शर्मा
लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े सिनेमाघरों के कारण इन दिनों ऐसा लग रहा है मानों अच्छी स्क्रिप्ट्स पर भी ताला लग गया है। पिछले चार महीनों में यूं तो कई फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक एक भी फिल्म ब्लॉकबस्टर हिट साबित नहीं हुई है। हाल ही में रिलीज़ हुई विद्युत जामवाल (Vidyut Jaamwal) की फिल्म ‘खुदा हाफिज़’ (Khuda Haafiz) का नाम भी इसी कड़ी में शामिल हो गया है। यह फिल्म डिज़नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई है। विद्युत जामवाल का नाम सुनते ही ऐसा लगता है मानो फिल्म में एक्शन और थ्रिल भरपूर मात्रा में मिलेगा। लेकिन फिल्म में आप शुरू से आखिर तक विद्युत के एक्शन सीन्स का इंतजार करते रह जाएंगे और इतने में ही फिल्म खत्म हो जाएगी। यदि आप भी यह फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो एक बार इसका रिव्यू अवश्य पढ़ लें।
कहानी
फिल्म की कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है और इस तरह की स्टोरी आपने भी कई बॉलीवुड फिल्मों में देख चुके होंगे। लखनऊ शहर के रहने वाले समीर और नरगिस अलग-अलग जाति के होते हैं, इसके बावजूद दोनों परिवारों की सहमति से उनकी अरेंज्ड मैरिज हो जाती है। लेकिन साल 2008 में आई विश्व व्यापी मंदी के कारण समीर और नरगिस को नौकरी से निकाल दिया जाता है। इसके बाद ये दोनों अरब के एक देश नोमान में जाकर नौकरी करने की प्लानिंग करते हैं और उसके लिए अप्लाई भी कर देते हैं।
नरगिस का नोमान से जॉब का ऑफर लेटर मिल जाता है। जो लड़की पहले कभी लखनऊ के बाहर भी न गई हो, वह अकेले नोमान के लिए उड़ान भर लेती है। नोमान पहुँचने के बाद वह समीर को फोन कर कहती है कि वहाँ के लोग बहुत गंदे हैं और उसे वहाँ नहीं रहना है। फोन पर बात करते समय नरगिस बहुत घबराई हुई लग रही थी। इसके बाद समीर तुरंत अपनी पत्नी को वापस लाने नोमान के लिए निकल पड़ता है। वहाँ जाकर उसे पता चलता है कि नरगिस को देह व्यापार के धंधे में धकेल दिया गया है। अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए वह इंडियन एंबेसी और पुलिस से मदद मांगने जाता है। क्या समीर अपनी पत्नी को सुरक्षित वापस इंडिया ला पाता है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
एक्टिंग
फिल्म में सभी किरदारों की एक्टिंग अच्छी है, कमजोर है तो केवल फिल्म की स्क्रिप्ट। समीर के रोल में विद्युत जामवाल ने शानदार एक्टिंग की है, लेकिन जिस प्रतिभा के लिए वह जाने जाते हैं फिल्म में उनका वह एक्शन देखने को नहीं मिलेगा। वहीं नरगिज़ के किरदार में शिवालिका ओबेरॉय बेहद ही खूबसूरत लग रही हैं। उन्हें स्क्रीन पर स्पेस भले ही कम दिया गया हो, लेकिन वह जब-जब स्क्रीन पर आएंगी, उनकी खूबसूरती आपको अपना दीवाना बना लेगी। फिल्म में विलेन का रोल निभाने वाले शिव पंडित की एक्टिंग तो ठीक है, लेकिन उनकी डायलोग डिलीवरी थोड़ी कमजोर नज़र आती है। टैक्सी ड्राइवर के किरदार में अन्नू कपूर भी अपने किरदार में सटीक नज़र आते हैं।
निर्देशन
इस फिल्म (खुदा हाफिज़) का निर्देशन फारुख कबीर ने किया है। निर्देशन की दुनिया में इनका ज्यादा नाम तो नहीं है, लेकिन ये इससे पहले भी दो फिल्मे डायरेक्ट कर चुके हैं। फिल्म की शुटिंग लोकेशंस अच्छी है, लेकिन उनमें नयापन नहीं है। फिल्म की स्टोरी के साथ-साथ फारुख को इसकी स्क्रिप्टिंग पर भी ध्यान देना चाहिए था। कुछ डायलोग्स अरबी भाषा में हैं, जिन्हें केवल सबटाइटल्स की मदद से ही समझा जा सकता है। वहीं फिल्म में कई डायलोग्स इंग्लिश में भी हैं। अरबी स्टाइल में इंग्लिस डायलोग्स बेहद ही अटपटे नज़र आते हैं। फिल्म के गानों की बात करें तो ‘जान बन गए’ और ‘आखिरी कदम’ जैसे सोंग्स अच्छे हैं, लेकिन फिल्म देखने के बाद शायद ही गाने के बोल आपको याद रह पाएंगे।
क्या है फिल्म की खासियत
देखा जाए तो फिल्म में ऐसी कोई खासियत नहीं है, जिसके दमपर फिल्म देखी जाए। फिल्म के गाड़ियों के कुछ दृश्य देखकर आपको रोहित शेट्टी की फिल्मों की याद जरूर आएगी। लड़की का विदेश जाना, वहाँ जाकर जिस्मफरोशी के धंधे में फंस जाना और फिर हीरो द्वारा अकेले ही सबका मुकाबला कर लेने वाला कॉन्सेप्ट अब पुराना हो गया है। आज के समय में दर्शक हर बार कुछ नया देखने की इच्छा रखते हैं। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफोर्म पर रिलीज़ हुई है और अब तक यही माना जाता है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बड़े पर्दे से ज्यादा अच्छा कंटेंट मौजूद है। यदि आप भी अपना देश छोड़कर विदेश जाकर नौकरी करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो एक बार यह फिल्म अवश्य देखें।