मुख्य कलाकार: सनी सिंह, सोनाली सहगल, पूनम ढिल्लों, सुप्रिया पाठक
निर्देशक: नवजोत गुलाटी
संगीत: तनिष्क बागची, मीट ब्रोस
प्यार का पंचनामा और सोनू के टीटू की स्वीटी जैसे हिट फिल्मों का निर्देशन कर चुके लव रंजन के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी नई फिल्म ‘जय मम्मी दी’ (Jai mummy di) इस शुक्रवार रिलीज़ हो गई है। कहने को तो यह एक कॉमेडी फिल्म है, लेकिन पूरी फिल्म में ढूंढने पर भी आपको कॉमेडी नहीं मिलेगी। कॉमेडी के नाम पर घिसे-पिटे वनलाइनर्स आपको पूरी तरह से बोर कर देंगे। फिल्म में सनी सिंह और सोनाली सहगल मुख्य भूमिका में नज़र आएंगे। अगर आप यह फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले ये रिव्यू पढ़ना आपके लिए बेहद जरूरी है।
कहानी
फिल्म (Jai mummy di) की कहानी दो परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है। पुनीत खन्ना (सनी सिंह) और सांझ भल्ला (सोनाली सहगल) एक-दूसरे के पड़ोस में रहते हैं। दोनों बचपन से ही साथ में बड़े हुए हैं और बड़े होने के बाद दोनों को कब एक-दूसरे से प्यार हो जाता है, इसकी खबर शायद उन दोनों को भी नहीं होती। दोनों एक-दूसरे के साथ शादी करना चाहते हैं, लेकिन ये इतना आसान नहीं होता।
पुनीत की मम्मी लाली खन्ना और सांझ की मम्मी पिंकी भल्ला भी अपने कॉलेज टाइम से ही एक-दूसरे को जानती हैं। दोनों की दोस्ती बहुत पक्की होती है लेकिन अचानक कुछ ऐसी घटना घटित हो जाती है जिसके बाद दोनों एक-दूसरे की जानी दुश्मन बन जाती हैं। दुश्मनी इतनी ज्यादा हो जाती है कि अपने बच्चों की आपस में शादी की तो दूर की बात है, वे एक-दूसरे का चेहरा देखना भी पसंद नहीं करतीं। क्या पुनीत और सांझ विवाह के पवित्र बंधन में बंध पाते हैं? क्या दोनों मम्मियों के बीच फिर से दोस्ती हो पाएगी? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। और हां, अगर ना भी देखें तो भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
निर्देशन
लव रंजन का नाम जिस फिल्म से जुड़ जाता है, दर्शक उस फिल्म में कुछ अलग तरह की कॉमेडी ढूंढने की कोशिश करते हैं। लेकिन रंजन ने इस फिल्म का निर्देशन नहीं किया है, केवल प्रॉडक्शन किया है। इस फिल्म से नवजोत गुलाटी निर्देशन के क्षेत्र में डेब्यू कर रहे हैं। अपनी पहली ही फिल्म (Jai mummy di) में उन्होंने इतनी कमोजर स्क्रिप्ट क्यों चुनी, ये समझ के परे है। फिल्म की स्टोरी, स्टारकास्ट से लेकर कॉमेडी तक कहीं कोई दम नज़र नहीं आता है। फिल्म की स्टोरी इतनी धीरे आगे बढ़ती है कि आप सिनेमाघर में एक-दो झपकी भी ले लेंगे तो फिल्म नहीं छूटेगी। हालांकि फिल्म का गाना ‘मम्मी नू पसंद नहीं है तू’ आपको झूमने का एक मौका तो देता है।
एक्टिंग
सनी सिंह एक अच्छे अभिनेता है लेकिन उन्हें ये बात समझने की जरूरत है कि अभी उन्हें वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया है कि वे अकेले दम पर फिल्म को हिट करा सकें। दर्शक केवल सनी सिंह के नाम पर फिल्म देखने नहीं जा सकते। उनके लुक से लेकर एक्टिंग तक कहीं भी कुछ नयापन आपको महसूस नहीं होगा। फिल्म की लीड एक्ट्रेस सोनाली सहगल और सनी इससे पहले प्यार का पंचनामा 2 में साथ काम कर चुके हैं। लेकिन इस फिल्म में दोनों के बीच केमिस्ट्री ज्यादा जम नहीं रही है। फिल्म मे सोनाली के ग्लैमरस अवतार को दर्शक जरूर थोड़ा बहुत पसंद कर रहे हैं। वहीं पूनम ढिल्लों और सुप्रिया पाठक की एक्टिंग भी औसत रही है।
क्या है फिल्म की खासियत
फिल्म में ऐसी कोई भी खासियत नहीं है जिस कारण यह फिल्म देखने का प्लान बनाया जाए। अगर कोई मुफ्त में भी आपको यह फिल्म दिखाने ले जा रहा है तो भी उसे साफ तौर पर मना करना ही बेहतर रहेगा। फिल्म की कहानी में कुछ नयापन नहीं है। ऐसा लग रहा है मानों खाली बैठने की बजाय क्यों ना एक फिल्म ही बना दी जाए सोचकर फिल्म बना दी गई है।अगर शहर के शोर-शराबे से दूर दो घंटे सुकून की नींद लेना चाहते हैं तो जरूर यह फिल्म देखने का मन बना सकते हैं।
Image Source: Tweeted by @luv_ranjan