भारत का पहला टॉय फेयर हुआ शुरू, प्रधानमंत्री बोले, “खिलौना उद्योग में छिपी ताकत को बढ़ाना है जरूरी!”

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के पहले टॉय फेयर का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा आप सभी से बात करके यह पता चल रहा है कि खिलौना उद्योग में कितनी ताकत छिपी है इस ताकत को बाहर लाना बहुत जरूरी है।

0
393
चित्र साभार: ट्विटर @BJP

आज भारत के पहले टॉय फेयर का शुभारंभ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वर्चुअल तरीके से किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रमुख बातों का जिक्र किया। वहां उपस्थित लोगों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप सभी से बात करके यह पता चल रहा है कि खिलौना उद्योग में कितनी ताकत छिपी है इस ताकत को बढ़ाना बहुत ज्यादा जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा यह मेला केवल आर्थिक और व्यापारिक कार्यक्रम भर नहीं है। अपितु यह तो देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा, “खिलौनों का जो वैज्ञानिक पक्ष है, बच्चों के विकास में खिलौनों की जो भूमिका है, उसे अभिभावकों को समझना चाहिए और अध्यापकों को स्कूलों में भी उसे प्रयोग करना चाहिए। इस दिशा में देश भी प्रभावी कदम उठा रहा है, व्यवस्था में जरूरी कदम उठा रहा है। हमारी परंपराओं, खानपान, और परिधानों में ये विविधतायें एक ताकत के रूप में नजर आती है। इसी तरह भारतीय खिलौना उद्योग भी इस अद्वितीय भारतीय परिप्रेक्ष्य को, भारतीय विचारबोध को प्रोत्साहित कर सकती हैं।”

प्रधानमंत्री ने खिलौना बनाने वाली लोगों से अनुरोध किया कि वे इसमें कम से कम प्लास्टिक का प्रयोग करें। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संस्कृति के बारे में कहा, “पीएम ने अपने संबोधन में कहा, ‘गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी कविता में कहा है- एक खिलौना बच्चों को खुशियों की अनंत दुनिया में ले जाता है। खिलौना का एक-एक रंग बच्चे के जीवन में कितने ही रंग बिखेरता है। भारतीय खेल और खिलौनों की ये खूबी रही है कि उनमें ज्ञान होता है, विज्ञान भी होता है, मनोरंजन होता है और मनोविज्ञान भी होता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्ले-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षा को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है। आज जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है, वो पहले ‘चतुरंग या चादुरंगा’ के रूप में भारत में खेला जाता था। आधुनिक लूडो तब पच्चीसी’ के रुप में खेला जाता था। हमारे धर्मग्रन्थों में भी बाल राम के लिए अलग-अलग कितने ही खिलौनों का वर्णन मिलता है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here