नेहरू के शांतिदूत बनने के कारण भारत हुआ कमजोर हुआ, पूर्व प्रधानमंत्री पर राज्यपाल ने की टिप्पणी

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कमजोरी ये थी कि वे खुद को ‘शांतिदूत’ मानते थे और उनकी इसी सोच ने देश को लंबे समय के लिए कमजोर कर दिया।

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महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों की आलोचना की है। उनका कहना है कि नेहरू के शांतिदूत बनने के कारण भारत कमजोर हुआ है। राजभवन में कारगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोश्यारी ने कहा, ‘‘नेहरू का राष्ट्र और स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान है और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन वह स्वयं को शांतिदूत मानने लगे थे और इसकी कीमत देश को कई सालों तक चुकानी पड़ी। उनकी शांति पहल से भारत को नुकसान हुआ।’’

वाजपेई से पहले देश में थीं डरी हुई सरकारें

कोश्यारी ने आरोप लगाया कि भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के सत्ता में आने से पहले की सभी सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा के दबाव से निपटने के लिए मजबूत नहीं थीं। उन्होंने कहा “मुझे याद है कि अटल बिहार वाजपेयी सरकार ने परमाणु परीक्षण करने का फैसला किया था लेकिन हम बीस साल पहले ही ये परीक्षण कर सकते थे क्योंकि हमारे वैज्ञानिक तैयार थे। लेकिन तब हमारी सरकारें डरी हुई थीं।”

हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्यपाल की टिप्पणी आधे सच पर आधारित है और वास्तविकता से उलट है। शांति को प्रोत्साहित करने का मतलब कमजोर होना नहीं है। अगर ऐसा होता तो कोश्यारी शांति, संवाद और सौहार्द्र को प्रोत्साहित करने के लिए बस से अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा, लाल कृष्ण आडवाणी के विचारधारा के विपरीत पाकिस्तान के संस्थापक, जिन्ना की मजार पर जाने, और बिना न्योता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवाज शरीफ के जन्मदिन पर जाने को क्या कहेंगे। क्या ये घटनाएं कमजोरी दिखाती हैं।”

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