भारत को जल्द ही मिलने वाला है एक और खतरनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, जानिए इस रॉकेट लॉन्चर की विशेषताएं

भारतीय वायुसेना की ताकत और दोगुनी होने वाली है क्योंकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 25 जून 2021 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर इंटीग्रेटेड टेस्‍ट रेंज में एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर से स्वदेशी रूप से विकसित 122 मिमी कैलिबर रॉकेट के उन्नत रेंज संस्करणों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

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चित्र साभार: ट्विटर @DRDO_India

पिछले कुछ सालों में लगातार भारतीय सेना की ताकत बढ़ती जा रही है। थल सेना,वायु सेना और जल सेना इन तीनों में ही लगातार नए नए हथियारों और उपकरणों को शामिल किया जा रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने 25 जून 2021 को ओडिशा के चांदीपुर तट पर इंटीग्रेटेड टेस्‍ट रेंज में एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर से स्वदेशी रूप से विकसित 122 मिमी कैलिबर रॉकेट के उन्नत रेंज संस्करणों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 122 मिमी कैलिबर रॉकेट के चार उन्नत संस्करणों को लॉन्चर से सभी उपकरणों के साथ दागा गया। बताया जा रहा है इस लांचर ने अपने सभी लक्ष्यों को समय के भीतर पूरा कर लिया है।

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 122 मिमी कैलिबर रॉकेट के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ को बधाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने इन सफल परीक्षणों में शामिल टीमों के प्रयासों की खूब तारीफ की है।

कहा जा रहा है इस टेस्ट में जिन रॉकेट का प्रयोग किया गया वे भी अपने मानकों पर खरे उतरे हैं। TV9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के अनुसार यह रॉकेट 40 किलोमीटर दूर तक अपने लक्ष्य को भेद सकते हैं। परीक्षण के दौरान आईटीआर और प्रूफ एंड एक्सपेरिमेंटल एस्टैब्लिशमेंट द्वारा स्थापित किये गए टेलीमेट्री, रडार तथा इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम सहित अन्य रेंज उपकरणों द्वारा सभी गतिविधियों को ट्रैक किया गया था। इस रॉकेट सिस्टम को पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट और हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (एचईएमआरएल) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

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