मंगलवार को सरकार के राजनयिक मौजूदगी को बढ़ावा देने के लिए मालदीव के अड्डू शहर में मंगलवार को सरकार के दूतावास के लिए मंजूरी दे दी गई। एक बयान में कहा गया की इससे ‘सबका साथ-सबका विकास’ में और भारत को विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बहुत ही अच्छा कदम है। बयान में ये भी कहा गया की ‘आत्मनिर्भर भारत’ के हमारे लक्ष्य के अनुरूप घरेलू उत्पादन और रोजगार को बढ़ाने में इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और प्रधानमंत्री की ‘सागर’ (क्षेत्र में सबकी सुरक्षा व विकास) की अवधारणा में प्रमुख और विशेष स्थान रखता है। सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के नेतृत्व में द्विपक्षीय संबंध ‘अभूतपूर्व स्तर’ पर पहुंच गये है। वहीं दूतावास खुलने से भारत को राजनायिक मौजूदगी को बढ़ाने में मदद मिलेगी और संबंधों को और मजबूत बनाया जा सकता है।
अब्दुल्ला यामीन शासन के दौरान भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे थे। यामीन को चीन का करीबी माना जाता था। हालांकि, नवंबर 2018 में सोलिह के देश का कार्यभार संभालने के बाद संबंध फिर से सामान्य हो गये थे। 2016 के दौरान अब्दुल्ला यामीन जब भारत आए थे तो, हमारे देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था भारत का आर्थिक विकास हमारे पड़ोसी देशों के विकास के बिना अधूरा है ‘Neighbours First’ न सिर्फ हमारी नीति है बल्कि हमारे सिद्धांतों का अहम हिस्सा है।